कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया से भयावह मंज़र देखने को मिल रहे हैं। महामारी के महासंकट में सबसे ज्यादा मुसीबत गरीब लोगों को झेलनी पड़ रही है। लॉकडाउन के बीच इन्हें पेट की आग से भी जूझना पड़ रहा है। कोरोना से जंग के बीच बिहार के जहानाबाद से एक ऐसा मामला सामने आया है जो सरकार को सोचने पर विवश कर देगा। मोदी सरकार से लेकर नीतीश सरकार लगातार कह रही है कि भूखे पेट किसी को सोने की नौबत नहीं आएगी। सभी जगह राशन वितरण किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जहानाबाद में छोटे-छोटे बच्चे मेढ़क खाकर अपनी भूख मिटा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जहानाबाद नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 9 के रामगढ़ इलाके में अपने पेट की आग बुझाने के लिये छोटे-छोटे बच्चे गंदे पानी में उतर कर मेढ़क पकड़कर खाने को विवश हैं। मेढ़क पकड़ रहे बच्चों का कहना है कि लॉक डाउन के कारण काम काज बंद रहने से घर मे खाने को कुछ नहीं बचा है। साथ ही, स्कूल बंद रहने से मिड डे मिल भी नहीं मिल पा रहा है। पेट भरने के लिए मजबूरी में मेढ़क पकड़ कर खा रहे हैं।
बता दें कि जहानाबाद जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर बसा रामगढ़ महल्ला काफी पिछड़ा इलाका है। यहाँ अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं। शाम में मजदूरी से मिले पैसे से ही इनके घर में चूल्हा जलता है। लॉकडाउन के कारण इन गरीब परिवारों के सामने राशन-पानी की समस्या उत्पन हो गई है। हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा गरीब और बेसहारा लोगों के लिए राहत कैम्प चलाया जा रहा है, लेकिन एक बड़ी आबादी होने के कारण बहुत से लोग इस राहत से वंचित हैं।
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