पूरे देश में 11 नवंबर को भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के मौके पर शिक्षा दिवस मनाया गया। मगर बिहार के एक स्कूल में मौलाना अबुल कलाम आजाद के बदले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती मनाई गई। अब इसे विद्यालय के शिक्षकों की लापरवाही कहें या इनको लेकर जानकारी का अभाव।
मामला पश्चिम चंपारण के मैनाटांड़ प्रखंड के एक सरकारी विद्यालय का है। 11 नवंबर को शिक्षा दिवस के मौके पर भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ऐपीजे अब्दुल कलाम को ही श्रद्धांजलि दे दी गई। श्रद्धांजलि देने के दौरान विद्यालय के प्रधानाध्यापक कृष्णनाथ हजरा ने अपने संबोधन में विद्यालय के सभी छात्र-छात्राओं को शिक्षा दिवस के अवसर पर बताया कि आज ही के दिन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आजाद का जन्म हुआ था।
उन्होंने यह भी बताया कि हमारे देश के सबसे पहले शिक्षा मंत्री डॉ एपीजे अब्दुल कलाम बने। वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् और लेखक थे। इन्हीं के जन्मदिवस पर हम हर साल शिक्षा दिवस के रूप में मनाते हैं।
वहीं इसकी जानकारी जब अभिभावकों को मिली तो वो नाराज हो गए। अभिभावकों का आरोप है कि जयंती मनाते समय विद्यालय के सभी शिक्षक भी मौजूद रहे, फिर भी किसी शिक्षक को याद नहीं रहा कि किनकी जयंती मनाई जा रही है। बस किसी तरह हमारे बच्चे को भरमाया जा रहा है और पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।
आक्रोशित अभिभावकों ने कहा कि अगर सभी शिक्षकों को निलंबित नहीं किया जाएगा तो वे लोग डीएम को आवेदन देकर शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे।
This post was last modified on November 13, 2019 6:18 PM
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