कोरोना के टीका ने दुनियां को एक नई उम्मीद दी ही थी कि एक और बीमारी ने डर फैला दिया है, ये बीमारी है बर्ड फ्लू। इसका डर इस कदर है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में एक कंट्रोल रूम बना दिया है। इसके जरिये देश में बर्ड फ्लू के हालात पर नजर रखी जाएगी। चार राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और केरल में मारे गए पक्षियों में बर्ड फ्लू होने की पुष्टि की गई है। सरकार का इसपर कहना है कि सर्दियों में आए प्रवासी पक्षियों की वजह से ये बीमारी फैली है। फिलहाल बर्ड फ्लू के जरिये इंसानों में संक्रमण फैलने का अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है।
7 राज्यों में बर्ड फ्लू को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। 4 राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि भी की जा चुकी है। भोपाल की हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लैब में राजस्थान, केरल और एमपी के पक्षियों के सैंपल पॉजिटिव मिले हैं जिनमें बर्ड फ्लू का H5N8 वायरस पाया गया है। वहीं, हिमाचल के सैंपल में H5N1 वायरस पाए गए हैं।
क्या होता है बर्ड फ्लू वायरस?
बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है। पक्षियों से एक दूसरे में फैलने वाला यह वायरस बेहद संक्रामक होता है। इसके कई सारे स्ट्रेन होते हैं। इसमें से सबसे खतरनाक स्ट्रेन H5N1 माना जाता है। प्रवासी पक्षियों के जरिए इस वायरस का एक देश से दूसरे देश में प्रसार होता है। पक्षियों के मल, नाक के स्राव, मुंह की लार या आंखों से निकलने वाली पानी के जरिए भी यह वायरस होता है।
इंसानों के लिए कितना खतरनाक होता है?
इस वायरस को इंसानों में कभी कभी ही देखने को मिलता है। लेकिन ये बेहद खतरनाक होता है। इंसानों में इस वायरस से मृत्यु दर करीब 60% है। बर्ड फ्लू के इंसानों में आए मामलों में देखा गया है कि यह सभी इस वायरस से संक्रमित किसी जीवित या मृत पक्षी के संपर्क में आए थे। साल 1997 में इंसानों में बर्ड फ्लू का पहला मामला हॉन्ग कॉन्ग में आया था। इसके साथ ही अभी तक इस बात का भी कोई सुबूत नहीं मिला है कि बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षी को अगर ढंग से पकाया गया है तो उसे खाने से संक्रमण फैलता है।
कैसे होता है इसका इलाज?
डॉक्टरों का मानना है कि बर्ड फ्लू से संक्रमित मरीजों को विशेष देखभाल के तहत इलाज की जरूरत होती है। अस्पताल में रखकर ही बर्ड फ्लू के मरीज का इलाज किया जाता है। एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिवीर की मदद से बर्ड फ्लू से संक्रमित मरीज को राहत मिल सकती है। इसका इस्तेमाल डॉक्टरी निगरानी में ही किया जाना चाहिए।
क्या हैं इसके लक्षण?
इसके लक्षणों में तेज बुखार, खांसी, गले की खराश, मितली, उल्टी, सिर दर्द, जोड़ों का दर्द, इनसोमनिया और आंखों का संक्रमण शामिल है। बच्चों में भी यही लक्षण सामने आते हैं। अगर ये वायरल संक्रमण बढ़ गया तो इससे न्यूमोनिया भी हो सकता है और कभी-कभी तो सांस की परेशानी भी हो सकती है।
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