भारतीय सिनेमा में 70 के दशक की मशहूर अदाकारा परवीन बॉबी ने अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्में दीं। वे अपने बोल्ड और बिंदास अंदाज के लिए जानी जाती थी। इंडस्ट्री में उनका अपना एक जलवा था। परवीन का जन्म 4 अप्रैल 1949 को गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था। लेकिन उनकी मौत बेहद गुमनाम रही।
परवीन बॉबी का पूरा नाम परवीन वली मोहम्मद अली ख़ान बॉबी था। माता पिता की शादी के 14 साल बाद परवीन का जन्म हुआ था और 10 साल की ही उम्र में उनके पिता का देहांत हो गया था। 1972 में परवीन ने मॉडलिंग करियर की शुरुआत की। उनके पहली फ़िल्म 1973 में ‘चरित्रम’ थी। 1974 में रिलीज हुई फ़िल्म ‘मजबूर’ बॉबी की पहली हिट फ़िल्म थी जिसमें उनके साथ अमिताभ बच्चन नजर आए थे।
1970 से 1980 के बीच में परवीन ने ‘दीवार’, ‘नमक हलाल’, ‘अमर अकबर एंथनी’ और ‘शान’ जैसी ब्लॉकबस्टर फ़िल्में दीं। 1976 से 1980 के बीच रीना रॉय के बाद परवीन बाबी दूसरी सबसे ज्यादा फीस पाने वाली एक्ट्रेस थीं। परवीन ने अमिताभ बच्चन के साथ आठ फिल्मों में अभिनय किया है और ये सभी फ़िल्में हिट हुई। परवीन ने शशि कपूर, धर्मेंद्र से लेकर अपने दौर के तमाम टॉप के एक्टर्स के परवीन ने काम किया।
परवीन ने कभी शादी नहीं की। लेकिन उनका कई विवाहित पुरुषो के साथ संबंध था। सिल्वर स्क्रीन पर उनकी जिंदगी में जितनी चमक दिखती थी असल में उतनी ही वो उतनी ही अंधेरों में डूबी थीं। उनका अफेयर महेश भट्ट के अलावा डैनी और कबीर बेदी से भी रहा। लेकिन महेश भट्ट के साथ उनकी प्यार भरी कहानी का बेहद दर्दनाक अंत हुआ था।
परवीन उस समय अपने करियर के चरम पर थीं जब महेश भट्ट से उन्हें प्यार हो गया था। इससे पहले उनका अफेयर कबीर बेदी के साथ था। कबीर से ब्रेकअप होने के बाद उन्होंने महेश भट्ट का हाथ थाम लिया, लेकिन महेश पहले से ही शादीशुदा थे। 1977 में दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो महेश अपनी पत्नी को छोड़कर परवीन के साथ लिव इन में आकर रहने लगे। उन दिनों परवीन फिल्म ‘अमर-अकबर-एन्थॉनी’ और ’काला पत्थर’ की शूटिंग कर रही थीं। परवीन और महेश एक-दूसरे के प्यार में पागल हो गए थे।
विरोध के बावजूद दोनों को अलग करना नामुमकिन हो गया था। महेश के लिए परवीन घर पर एक साधारण लड़की की तरह रहती थीं। देखते-देखते दोनों के रिश्ते को दो साल हो गए। 1979 में महेश भट्ट को अचानक एक ऐसी सच्चाई का पता चला जिससे उनके होश उड़ गए। एक दिन महेश जब घर लौटे तो उन्होंने देखा कि परवीन फिल्म का कॉस्ट्यूम पहने घर के एक कोने में बैठी हैं, उनके हाथ में चाकू था। महेश को देखते हुए परवीन ने उन्हें चुप रहने का इशारा किया।
इसके बाद परवीन ने कहा, ‘बात मत करो, कमरे में कोई है। वो मुझे मारने की कोशिश कर रहे हैं।’ परवीन ने पहली बार ऐसा कुछ किया था जिससे महेश बुरी तरह हिल गए थे। उन्होंने परवीन का ये रूप पहले कभी नहीं देखा था। इस घटना के बाद से परवीन अक्सर ही ऐसी हरकतें करने लगीं। डॉक्टरों को दिखाने के कुछ दिन बाद पता चला कि उन्हें सिजोफ्रेनिया नाम की मानसिक बीमारी है। उस समय परवीन कई फिल्में कर रही थीं। डायरेक्टर्स को फिल्म ठप हो जाने का डर था।
परवीन के मन में ये डर बैठ गया था कि कोई उन्हें मारना चाहता है। कुछ समय बाद तो परवीन को लगने लगा था कि उनकी कार में बम रखा है, वो एसी की आवाज तक से डर जाती थीं। यहां तक कि अपने को-स्टार अमिताभ बच्चन को भी वो अपने लिए खतरा मानने लगी थीं। परवीन को लगता था कि अमिताभ उन्हें मारना चाहते हैं। उन्होंने परवीन के पीछे गुंडे लगवा रखे रखे हैं। परवीन की ऐसी स्थिति देखकर उन्हें कमरे में ही बंद रखा जाने लगा। उन्हें मीडिया और पब्लिक की नजरों से दूर रखना पड़ा।
इस दौरान परवीन का वजन काफी बढ़ गया था और उन्होंने अपनी खूबसूरती खो दी थी। अब डॉक्टरों के पास उन्हें इलेक्ट्रिक शॉक देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। लेकिन महेश शॉक के विरोध में थे। तभी महेश पर भी कई तरह के आरोप लगने लगे। लोगों का कहना था कि महेश ने परवीन का इस्तेमाल किया। अपने फायदे के लिए परवीन के स्टारडम और रुतबे का इस्तेमाल किया और अब वे उन्हें ठीक नहीं होने देना चाहते। अब तक परवीन की हालत बेहद नाजुक हो चुकी थी। उन्होंने दवाइयां खाना बंद कर दिया था।
कुछ समय बाद महेश परवीन को छोड़कर अपनी पत्नी लोरेन के पास वापस आ गए। डॉक्टर्स का कहना था कि महेश के रहने से परवीन की हालत ज्यादा खराब रहती है। इसलिए उनका दूर रहना ही बेहतर था। उसी दौरान महेश ने फिल्म ‘अर्थ’ लिखनी शुरू की, जो उनकी जिंदगी की सच्चाई थी। इलाज पूरा होने के बाद परवीन मुंबई वापस आ गईं। अब वो बेहद तनहा थीं। वहीं उनके वापस आने पर पत्नी के पास वापस लौट चुके महेश भट्ट भी खुद को परवीन के पास जाने से नहीं रोक सके।
वहीं परवीन के डॉक्टर नहीं चाहते थे कि महेश परवीन के आस-पास भी रहें। लेकिन परवीन महेश को छोड़ने को तैयार नहीं थीं। महेश भी चाहते थे कि उनका इलाज अच्छे से हो। एक रात परवीन ने महेश से कहा कि वो उनमें और उनके डॉक्टर में से किसी एक को चुनें। बस फिर क्या था महेश उनके घर और जिंदगी से हमेशा के लिए चले गए।
परवीन की जिंदगी का अंत बेहद दर्दनाक था। 1976 में मशहूर ‘टाइम’ मैगजीन ने परवीन बाबी को अपने कवर पेज पर जगह दी थी। 1983 में परवीन अपना फ़िल्मी करियर और भारत को छोड़कर अमेरिका चली गयी थीं। कम उम्र में ही परवीन डायबिटीज की शिकार हो चुकीं थीं। 22 जनवरी 2005 को जब तीन दिनों तक परवीन ने अपने मुंबई के घर का दरवाज़ा रोज़ की तरह दूध और अखबार लेने के लिए नहीं खोला तो पुलिस को इन्फॉर्म किया गया। उसके बाद परवीन का शव उनके घर से बरामद किया गया जो बेहद ही खराब हालत में था।
ग्लैमर की जिंदगी जीने वाली परवीन का आखिरी वक्त अंधेरे, तन्हाई और अवसाद में गुजरा। शायद यही फिल्मी नगरिया का कड़वा सच है।
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