नई दिल्ली| भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की वार्षिक आम बैठक बोर्ड के मुख्यालय मुंबई में एक दिसंबर को होगी। अध्यक्ष सौरभ गांगुली के नेतृत्व वाले नए अधिकारियों ने सभी राज्य संघों को इस बारे में सूचित कर दिया है। इस बैठक में छह मुख्य पहलुओं पर चर्चा होगी।
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “हां, यह एक दिसंबर को होनी है।”
अधिकारी संविधान के छह बिंदुओं को देखेंगे जिन पर दोबारा काम किया जाएगा क्योंकि अधिकारियों को लगता है कि कुछ ऐसी चीजें हैं जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंजूर लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक नहीं हैं। इन प्रस्तावित बदलावों की सूची आईएएनएस के पास मौजूद है।
जिसमें पहला बिदु हर बदलाव के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास जाना है। अधिकारियों को लगता है कि यह संभव नहीं है।
प्रस्ताव में लिखा है, “बीसीसीआई के संविधान में यह उपलब्धता है कि किसी भी तरह के बदलाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी की जरूरत होगी। यह लोढ़ा समिति की सिफारिशों में नहीं था। यह सुप्रीम कोर्ट के 18 जुलाई 2016 के फैसले में भी नहीं था। इससे अधिकारियों के सही बदलाव करने के अधिकार को लागू करने के लिए उसे हर बार सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी लेनी होगी।”
दूसरा बिंदू कूलिंग ऑफ पीरियड को लेकर है।
इसमें आगे लिखा है, “कूलिंग ऑफ पीरियड के मुताबिक वो अधिकारी जो बीसीसीआई या उसके सदस्य संघ में छह साल तक रहा हो वह छह साल बाद कूलिंग ऑफ पीरियड में चला जाएगा। यह नियम कई प्रतिभाशाली लोगों को चुनने में बाधा साबित हो रहा है।”
तीसरा बिंदु सदस्यों की अयोग्यता का है। अधिकारियों को लगता है कि मौजूदा स्थिति में अनुभव की कमी होना बड़ा मुद्दा है, खासकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) में बीसीसीआई के प्रतिनिधित्व को लेकर।
प्रस्ताव में लिखा है, “अयोग्यता का नियम बहुत बड़ा है। अगर कोई इंसान बिना ज्यादा अनुभव के बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व आईसीसी में करता है तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के योगदान को ज्यादा पहचान नहीं मिलेगी। इसलिए बीसीसीआई के हितों को बचाते हुए यह जरूरी है कि आईसीसी में अपनी बात को साफ रखने के लिए अनुभवी लोग हों। साथ ही आईपीएल गर्विनंग काउंसिल के सदस्यों पर प्रतिबंध लगाने का कोई कारण नहीं क्योंकि वह भी बीसीसीआई की समिति है।”
अगल मुद्दा सचिव की स्थिति को लेकर है। अधिकारियों को लगता है कि मौजूदा समय में सचिव के पद पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। वहीं नए अधिकारियों ने माना है कि रोजमर्रा के कामकाज के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को पावर देनी चाहिए।
This post was last modified on November 10, 2019 11:21 AM
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