नई दिल्ली, 5 फरवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा है कि अन्य दलों के साथ तब तक कोई बातचीत नहीं की जाएगी, जब तक कि वाम दलों के साथ सीटें साझा करने का समझौता पूरा नहीं हो जाता है।
कांग्रेस के पश्चिम बंगाल के प्रभारी जितिन प्रसाद ने कहा है, अभी वाम दलों के साथ बातचीत चल रही है और उनके साथ सीटें साझा करने का समझौता पूरा होने के बाद ही किसी भी गठबंधन पर विचार किया जाएगा।
बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और गठबंधन समिति के सदस्य कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर फुरफुरा शरीफ मौलवी अब्बास सिद्दीकी की नई पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ गठबंधन करने की अनुमति मांगी है।
अपने पत्र में अब्दुल मन्नान ने कहा है कि अल्पसंख्यक मतदाता कांग्रेस से दूर हो गए हैं, जो कि 2019 के संसदीय चुनाव से स्पष्ट हो गया है। साथ ही मुस्लिम बहुल वाले जिलों जैसे मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तर दिनाजपुर में कांग्रेस जड़ से उखड़ गई हैं। ऐसे में कांग्रेस-वाम गठबंधन में इंडियन सेकुलर फ्रंट को शामिल करना आगामी चुनावों में गेम-चेंजिंग साबित होगा।
फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया है। सिद्दीकी ने अपनी पार्टी बनाते हुए कहा था कि वह बंगाल में किंगमेकर बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा था, हमने यह सुनिश्चित करने के लिए पार्टी बनाई है कि लोकतंत्र की रक्षा हो, हर किसी को सामाजिक न्याय मिले और हम सभी गरिमा के साथ रहें।
कांग्रेस को 31 जनवरी तक सीटों का बंटवारा करना था, जो अब तक नहीं हो सका है। अब पार्टी राज्य की इकाई पर सीटों को लेकर जल्द समझौता करने का दबाव बना रही है, ताकि चुनाव की तैयारी तुरंत शुरू की जा सके। इस काम के लिए कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली राज्य गठबंधन समिति को अधिकृत किया है।
पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों के लिए सीटों के समझौते को लेकर कांग्रेस का फोकस बिहार चुनावों के इतर सीटों की क्वोलिटी पर है ना कि सीटों की संख्या पर। बता दें कि बिहार में पार्टी ने कई सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन जीत 19 सीटों पर ही मिली थी।
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने वाम दलों के साथ समझौते को अंतिम रूप देने के लिए एक कमेटी बनाई है, जिसमें अधीर रंजन चौधरी, अब्दुल मन्नान, प्रदीप भट्टाचार्य और नेपाल महतो शामिल हैं। पैनल के एक सदस्य ने कहा है, हम केवल मजबूत सीटों पर फोकस कर रहे हैं।
वैसे कांग्रेस सूत्रों का यह भी कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर पश्चिम बंगाल पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि हर राज्य अलग होता है। 2016 के विधानसभा चुनावों में वाम दलों ने ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस 44 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर आई थी।
–आईएएनएस
एसडीजे/एएनएम
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