नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह से उनके नॉर्थ ब्लॉक चैंबर में मुलाकात की और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर सवाल उठाए, जिसका उद्देश्य वास्तविक भारतीय नागरिकों की पहचान करना है। यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम बंगाल में एनआरसी का मुद्दा उनकी चर्चा का हिस्सा था, पर ममता ने कहा, “उन्होंने (शाह ने) बंगाल में एनआरसी पर कुछ नहीं कहा। मैंने अपना पक्ष स्पष्ट किया है कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी की जरूरत नहीं है।”
उन्होंने यहां मीडिया से कहा, “मैंने उन्हें एक पत्र दिया है। मैंने उन्हें बताया कि असम में एनआरसी से 19 लाख लोग बाहर रह गए हैं, जिनमें से कई हिदीभाषी, बांग्लाभाषी और असम के स्थानीय लोग हैं।”
उन्होंने कहा, “कई वास्तविक मतदाता इस सूची से बाहर रह गए हैं, इसे देखा जाना चाहिए। मैंने एक आधिकारिक पत्र सौंपा है।”
तृणमूल कांग्रेस ने शुरुआत से ही एनआरसी का विरोध किया है और इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर भी उतरी है। भाजपा की प्रदेश इकाई ने हालांकि असम में एनआरसी की अंतिम सूची जारी होने के बाद बंगाल में भी इसे लागू करने की मांग की है।
पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था कि अगर पार्टी 2021 विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आती है तो, राज्य में एनआरसी लागू किया जाएगा।
ममता की पार्टी ने इसे ‘विभाजनकारी’ बताया है। तृणमूल के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा, “हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं ने बंगाल में एनआरसी को लागू करने की कोशिश को विफल करने पर प्रतिबद्धता जताई है।”
इससे एक दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बुधवार को नई दिल्ली में 15 महीनों के अंतराल के बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी।
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