लंदन, 4 फरवरी (आईएएनएस)। ब्रिटेन ने अलग-अलग वैक्सीन की पहली और दूसरी खुराक का उपयोग किए जाने के प्रभाव की जांच करने के लिए नई क्लीनिकल स्टडी गुरुवार को शुरू की। इसके तहत एक खुराक एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का दिया जाना है और दूसरी खुराक फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की।
ब्रिटेन के स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल विभाग ने एक बयान में कहा कि इस अध्ययन के दौरान उन लोगों पर प्रभाव को परखा जाएगा, जिन्हें एक ही वैक्सीन की 2 खुराकें दी गईं और जिन्हें 2 अलग-अलग वैक्सीन की खुराकेंदी गईं। साथ ही, समूह में शामिल लोगों की प्रतिरक्षा के सबूत भी इकट्ठे किए जाएंगे।
13 महीने तक चलने वाले इस अध्ययन में 800 से ज्यादा रोगियों को शामिल किया जा सकता है। इस दौरान उनके इम्यून रिस्पांस की निगरानी की जाएगी। अध्ययन के प्रारंभिक निष्कर्ष गर्मियों में सामने आ सकते हैं। इससे यह समझने में आसानी होगी कि क्या वैक्सीनों को उपलब्धता के आधार पर सुरक्षित और अधिक लचीलेपन से लगाया जा सकता है।
ब्रिटेन में कोविड-19 वैक्सीन डिप्लॉयमेंट मिनिस्टर नादिम जहावी ने कहा, यह एक बहुत ही अहम क्लीनिक ट्रायल है, जो हमें इन वैक्सीनों के अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल करने को लेकर सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण सबूत देंगे। हालांकि अध्ययन के अलावा ऐसा प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी गई है और तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक कि रिसर्चर्स और रेगुलेटरी इसके सुरक्षित और प्रभावी होने को लेकर आश्वस्त नहीं हो जाते हैं।
सरकार ने कहा है कि अभी राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में दोनों खुराकें एक ही वैक्सीन की दी जा रही हैं। साथ ही ब्रिटेन के टीकाकरण अभियान के तहत जिन्हें भी फाइजर या एस्ट्राजेनेका वैक्सीन मिल चुकी हैं, उन्हें अगली खुराक उसी वैक्सीन की मिलेगी, जिसकी उन्हें पहली खुराक मिली थी।
–आईएएनएस
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