भोपाल, 19 मई (आईएएनएस)। बुंदेलखंड की दुनिया में पहचान भले ही समस्याग्रस्त इलाके के तौर पर हो, मगर सियासी तौर पर अभी इस इलाके की हैसियत बची हुई है। वर्तमान में इस इलाके से नाता रखने वाले भाजपा नेताओं के हाथ में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की कमान है। दोनों ही नेता संगठन को मजबूत करने में लगे हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने में लगे हैं।
बुंदेलखंड क्षेत्र उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैला हुआ है। दोनों ही राज्यों के सात-सात जिले इस क्षेत्र में आते हैं और इस तरह कुल मिलाकर 14 जिलों को मिलाकर बुंदेलखंड बनता है। मध्य प्रदेश के खजुराहो संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित सांसद विष्णु दत्त शर्मा को राज्य के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है, इसी तरह उत्तर प्रदेश के जालौन से नाता रखने वाले स्वतंत्र देव सिंह के पास पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई की कमान है।
सियासी तौर पर यह पहला ऐसा अवसर है, जब बुंदेलखंड से नाता रखने वाले दो नेताओं को अलग-अलग राज्य की जिम्मेदारी या कमान सौंपी गई हो। दोनों ही प्रदेशाध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि के हैं।
मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लिए काम करते रहे और परिषद में उनकी संगठन क्षमता को देखते हुए ही पहले भाजपा की प्रदेश इकाई में महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई और खजुराहो से लोकसभा चुनाव लड़ाया गया। चुनाव जीतने के बाद शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इसी तरह उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय युवा मोर्चा से होते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर पहुंचे हैं। इससे पहले वे योगी सरकार में परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं। इसके साथ ही वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें बतौर प्रभारी बनाकर भी भेजा गया था।
दोनों ही राज्यों के प्रदेशाध्यक्ष संगठन के जरिए कोरोना पीड़ितों की मदद के अभियान में लगे हुए हैं। शर्मा का कहना है कि भाजपा के कार्यकर्ता घर लौट रहे मजदूरों को भोजन, कपड़े, चप्पल-जूते आदि मुहैया करा रहे हैं तो गांवों और विभिन्न क्षेत्रों में रसोई चलाकर भोजन उपलब्ध कराने में लगे हैं।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी संगठन के निर्देश पर कार्यकर्ता और पदाधिकारी कोरोना पीड़ितों की मदद में लगा है। भोजन के साथ खाद्यान्न वितरण भी जारी है।
बुंदेलखंड के राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि सियासत में कम ही मौके ऐसे आए हैं, जब बुंदेलखंड से नाता रखने वाले को राजनीतिक दलों में महत्व मिला है। यह अच्छी बात है कि दो राज्यों के अध्यक्ष इस क्षेत्र से नाता रखने वाले हैं। दोनों की जन्मस्थली बुंदेलखंड नहीं है, उनकी तो कर्मस्थली बुंदेलखंड है।
उन्होंने कहा, “इससे पहले उमा भारती को भाजपा ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था। अगर इस इलाके का सियासी रुतबा रहा होता तो समस्याएं मुंह न पसार पाई होतीं, मगर ऐसा हुआ नहीं। अब उम्मीद की जाना चाहिए कि शायद इस इलाके का भाग्य बदल जाए।”
–आईएएनएस
नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…
इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…
अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना
KBC 14 Play Along 23 September, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 36: प्रसिद्ध डिजाइनर्स चार्ल्स…
राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…