CAG Report: बिहार में करीब 20 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और उनकी सरकार में शामिल लोग लगातार दावे करते हैं कि वह भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चला रहे हैं। उनके इस दावे को भारत सरकार (Indian government) की एजेंसी नियंत्रक और महालेखा परीक्षक या महालेखा परीक्षक (CAG) ने झुठला दिया है। गौर करने वाली बात यह है कि कैग की रिपोर्ट में दावा (Bihar CAG Report Shocking Revelation) किया गया है कि सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के गृह जिले नालंदा (Home District Nalanda) में विकास कार्यों के नाम पर बड़े स्तर पर धांधली हुई है।
कैग(CAG ) की रिपोर्ट के हवाले से बिहार से प्रकाशित अखबारों में नालंदा जिले में हुए घोटाले की कहानी बताई गई है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी टीम ने योजनओं के कार्यान्यवन की पुष्टि करने के लिए मौके पर पहुंची तो वहां जाकर घोटाले के बारे में पता चला है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि धुरगांव ग्राम पंचायत में योजना संख्या 23/ 15 -16 के तहत 2 लाख 73 हजार रुपये खर्च कर ईंट सोलिंग का काम कराने का दावा किया गया है। कैग की टीम ने जब मौके पर जाकर मुआयना किया तो वहां ईंट सोलिंग का कोई काम नहीं दिखा। इस मामले के सामने आने पर जिले के अफसरों ने कहा कि योजना में गलती से उस जगह का नाम टाइप हो गया था। कैग को जांच में एक ऐसी फाइल मिली है जिसमें दर्ज जिले के सारे काम केवल कागजों पर हुए हैं, उनका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। यहां तक कि इस फाइल पर अफसर के भी फर्जी साइन किए गए हैं।
एक अन्य मामले में नगर पंचायत इस्लामपुर में 5 लाख 16 हजार के खर्च से वार्ड संख्या 2 में 50 घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए लघु समरसिबल टैंक लगाने का दावा किया गया था। दरअसल, जिस जमीन पर समरसेबल ट्यूबबेल लगा है उसे गांव के ही एक शख्स ने अपना बता दिया। उसके बाद उस शख्स ने वहां से गांव के दूसरे लोगों को पानी भरने से मना कर दिया। इसके बाद कैग दोबारा से इस मामले की असलियत निकालने में लगे हैं।
एलईडी लाइटों की खरीद (Scam In LED Light Purchasing) से लेकर पब्लिक प्लेस पर लगाए जाने वाले कूडे़दान तक हर जगह धांधली का खुलासा किया गया है। सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक अरवल नगर परिषद ने जानबूझकर सस्ते दाम पर LED मुहैया कराने वाली कंपनी को टेंडर नहीं दिया। नगर परिषद की इस लापरवाही की हरकत की वजह से सरकार को 50.33 लाख रुपये का नुकसान हुआ। सरकारी अधिकारियों ने कम कीमत वाले टेंडर को सामने ही नहीं आने दिया। जिन LED लाइटों की कीमत 10 हजार 850 थी उन्हें दोगुनी कीमत पर खरीदा गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस डील में सरकार को 50 लाख 32 हजार 500 रुपये का नुकसान उठाना पड़ा ।
सीवान और बिहार शरीफ के शहरी निकायों में पब्लिक प्लेस पर 6760 कूड़ेदान लगाए जाने थे। अधिकारियों की लापरवाही की वजह से इस डील में सरकार को 6 करोड़ 98 लाख का नुकसान उठाना पड़ा. 4,115 रुपये वाले कूड़ेदान के लिए सरकरा को 7,585 रुपयेसे लेकर 11 हजार 285 रुपये तक चुकाने पड़े। 6760 यूनिट की खरीद में सरकार को 6 करोड़ 98 लाख का घाटा हुआ।
एजुकेशन डिपार्टमेंट की तरफ से स्टूडेंट्स के आधार के डिजिटलीकरण को रोके जाने की वजह से सरकार को 1.98 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। इस पर राज्य सरकार की तरफ से 1.98 करोड़ का खर्चा किया गय था। लेकिन वक्त पर अपग्रेट नहीं करने की वजह से पुराने सॉफ्टवेयर की जगह पर नई तकनीक पर सरकार को नुकसान उठाना पड़ा।
वहीं स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप में भी धांधली की गई। अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण विभाग की तरफ से दिए गए स्कॉलरशिप के अमाउंट को बांका जिला कल्याण विभाग के अधिकारी फंड के कैशियर ने अपने और अपनी पत्नी के पर्सनल अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया। कैशियर ने इस मामले में करीब 1 करोड़ 43 लाख का घोटाला किया। इतना ही नहीं उसने प्रखंड विकास पदाधिकारी से भी धोखाधड़ी कर अपने अकाउंट में 1.46 करोड़ डलवा लिए। मामला उजागर होने के बाद आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की गई।
इसी तरह ग्राम पंचायत अजयपुर में योजना संख्या 5/15- 16 के तहत 62000 रुपये की लागत से ट्यूबवेल लगाना था। नालंदा जिले के अफसरों ने कागजों पर इस जिले में ट्यूबेल लगा भी दिया। कैग की टीम जब मौके पर पहुंची तो यहां भी उन्हें चौंकाने वाली सच्चाई देखने को मिली। वहां ट्यूबबेल जैसी कोई चीज थी ही नहीं।
कैग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नालंदा जिले में कई और योजनाओं में बड़ी धांधली हुई है। इसके अलावा नल जल योजना में भी धांधली की बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नालंदा जिले में कई ग्राम पंचायतों में जलमीनार बनाने के नाम पर रकम खर्च हुए हैं, लेकिन कैग की टीम को ज्यादातर जगहों पर जलमीनार नहीं दिखे। अपनी रिपोर्ट को पुष्ट करने के लिए कैग ने तस्वीरें भी शामिल की है।
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