हिन्दू धर्म में माँ शक्ति की अराधना का महापर्व नवरात्रि साल में दो बार धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार 6 अप्रैल 2019, दिन शनिवार से चैत्र नवरात्रि का शुभारम्भ हुआ था और 14 अप्रैल 2019, दिन रविवार को राम नवमी की पूजा के साथ इस पर्व का समापन होगा।
चैत्र नवरात्रि के इस पावन समय में घर-घर अष्टमी तथा नवमी के कन्या पूजन की तैयारियां चल रही हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि में अष्टमी तथा नवमी पूजा को लेकर कई लोगों के बीच दुविधा है कि आखिर कब अष्टमी और नवमी के पूजन का शुभ समय है।
आपको बता दें कि 12 अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को सुबह 10:18 बजे से 13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 08:16 बजे तक अष्टमी तिथि रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी।
पंचांग के मुताबिक 13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 08:16 बजे अष्टमी तिथि के ख़त्म होते ही नवमी तिथि लग जाएगी। चूंकि अष्टमी तिथि का सूर्य उदय 13 अप्रैल को हुआ है और सुबह ही 8:16 बजे नवमी तिथि भी शुरू हो जाएगी, इसलिए महाष्टमी और नवमी का व्रत एवं पूजन दोनों ही 13 अप्रैल को होगा।
अब जिन लोगों को दुविधा है कि अष्टमी और नवमी का कन्या पूजन किस दिन होगा, उनके पता दें कि 13 अप्रैल को ही अष्टमी तिथि का सूर्य उदय और तत्पश्चात कुछ ही देर में लगने वाली नवमी तिथि के कारण इसीदिन अष्टमी-नवमी तिथि का व्रत, पूजन और साथ ही कन्या पूजन भी किया जाएगा ।
रामनवमी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनायी जाती है और इस विशेष दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की विधि विधान से पूजा की जाती है। राम के जन्म का पर्व रामनवमी पूरे भारत में काफी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है। इस दिन भगवान राम के भक्त उपवास रखकर उनका गुणगान करते हैं।
इस साल की रामनवमी पुष्म नक्षत्र के योग में बनाई जाएगी। ये योग 27 नक्षत्रों में सबसे अच्छा माना जाता है। इसी योग में भगवान राम का जन्म हुआ था।
13 अप्रैल को सूर्योदय 05:43 पर है। अष्टमी प्रातः 08:19 तक है उसके बाद नवमी है। भगवान राम का जन्म नवमी तिथि को कर्क लग्न तथा कर्क राशि में हुआ था। 13 अप्रैल को दिन शनिवार को मध्यान्ह नवमी तिथि होने के कारण रामनवमी 13 अप्रैल को ही रहेगा। नवमी अगले दिन 14 अप्रैल को प्रातः 06:04 बजे तक है। 9 दिन व्रत रहने वाले 14 को पारण करेंगे।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थीं। लेकिन तीनों रानियों में से किसी को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी। तब ऋषि मुनियों से सलाह लेकर राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ से निकली खीर को राजा दशरथ ने अपनी बड़ी रानी कौशल्या को खिलाया। इसके बाद चैत्र शुक्ल नवमी को पुनरसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम का जन्म हुआ। तब से यह तिथि राम नवमी के रूप में मनायी जाती है।
स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल पर सभी प्रकार की पूजन सामग्री लेकर बैठ जाएं।
पूजा की थाली में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य रखें।
रामलला की मूर्ति को माला और फूल से सजाकर पालने में झूलाएं।
इसके बाद रामनवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
इसके साथ ही रामायण का पाठ तथा राम रक्षास्त्रोत का भी पाठ करें।
भगवान राम को खीर, फल और अन्य प्रसाद चढ़ाएं।
पूजा के बाद घर की सबसे छोटी कन्या के माथे पर तिलक लगाएं और श्री राम की आरती उतारें।
नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…
इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…
अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना
KBC 14 Play Along 23 September, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 36: प्रसिद्ध डिजाइनर्स चार्ल्स…
राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…