बीजिंग, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। चीन दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। मिस्र, मैसोपोटामिया और भारत की तरह चीनी इतिहास की जड़ें भी कई हजार साल पुरानी हैं। चीन में एक विशेष और अनोखी संस्कृति पैदा हुई जो सदियों तक सामंती प्रभाव में रही। फिर 20वीं सदी में चीनी समाज ने करवट बदली, और सामंतवाद और उपनिवेशवाद के विरूद्ध जन आंदोलन हुआ। साल 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में नये चीन की स्थापना हुई।
साल 1950 से 1970 के दशकों में चीन में समाजवाद और उसके प्रमुख नेताओं- माओ त्सेतुंग और चोऊ एनलाए का बोलबाला रहा, तब बाहरी दुनिया को चीन बंद-बंद और कटा-कटा नजर आता था। लेकिन, साल 1976 में माओ और चाऊ का निधन हो गया और फिर साल 1978 से चीन में सुधारों का दौर शुरू हुआ।
जब चीन में आर्थिक सुधार को लागू किया गया, तब चीन की दिशा और दशा में बड़ा परिवर्तन आया। साल 1980 से चीन के बुद्धिजीवी और अधिकारी नई तरह से सोचने लगे, और देश के विकास में नई रोशनी आने लगी। कहा जाए तो चीनी समाज ने रास्ता बदला और राजनीति से ज्यादा अर्थव्यवस्था महत्वपूर्ण हो गई। तब चीन में अमीर बनने पर जोर दिया जाने लगा। चीन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को अलग रूप देने में काफी हद तक सफलता हासिल की।
बहरहाल, पिछले चार दशक से चीन ने दुनिया के लिए दरवाजे खोल दिये, और विदेशी कंपनियों को पूंजी निवेश करने का न्यौता दिया जाने लगा। नतीजा यह रहा कि चीन एक गरीब और साधनहीन देश से ऊपर उठकर दुनिया की दूसरी बड़ी महाशक्ति बन गया। नई तकनीक, सस्ता श्रम और निर्यात ने चीन में बनी वस्तुओं को दुनिया भर में सस्ता और लोकप्रिय बना दिया।
चीन ने एक बड़ी छलांग लगाई और बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन हुआ। इसमें कोई शक नहीं कि इससे चीनी लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठा है। आर्थिक सुधारों से पहले की ‘तथाकथित’ समाजवादी नीतियां काम नहीं कर रही थीं, लेकिन आज चीन में अधिकतर लोग अच्छा जीवन गुजार रहे हैं। उनके विचारों की पुष्टि आंकड़ों से भी होती है। कोरोना महामारी से कुछ साल पहले से चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 8-9 प्रतिशत के आसपास रही है, जो कि बहुत अच्छी मानी जाती है।
यकीनन, चीन के इस तेज विकास का श्रेय आर्थिक सुधारों को जाना चाहिए। पिछले 40 सालों में चीन में हुए आर्थिक विकास का प्रमुख कारण है कि चीनी सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी ने अलग नीतियां अपनाईं, और सारा जोर आर्थिक प्रगति पर दिया, जिसके चलते चीनी नेताओं की और देश की मानसिकता बदल गई, और नई सदी में चीन आधुनिक और बड़ी महाशक्ति के रूप में उभरा।
अब चीन का दुनिया पर प्रभाव है जो पहले से कहीं अधिक व्यापक, गहरा और दीर्घकालिक है, और दुनिया चीन पर भी अधिक ध्यान दे रही है। चीन ने कम समय में कामयाबी हासिल कर ली, जिसे कुछ विकसित देशों को हासिल करने में कई सौ साल लग गए थे। चीन अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसने अपने लगभग 1.4 बिलियन लोगों की भौतिक जरूरतों को पूरा किया, और चौतरफा समृद्धि हासिल की।
आज, चीन विश्व आर्थिक विकास का प्रमुख स्थिरता और प्रेरक बल बन गया है। चीन का विकास एक खतरा या चुनौती के बजाय दुनिया के लिए एक अवसर है। इसने विकास को अन्य विकासशील देशों के लिए अनुभव और सबक की ओर अग्रसर किया है।
(साभार–अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
— आईएएनएस
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