चीन से पाकिस्तानियों को नहीं निकालने के फैसले की समीक्षा के लिए कहा

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इस्लामाबाद, 11 फरवरी (आईएएनएस)| जानलेवा कोरोना वायरस के आतंक के बीच फंसे पाकिस्तानियों को सुरक्षित स्वदेश वापस नहीं लाने के पाकिस्तान सरकार के फैसले पर हर तरफ से सवालिया निशान उठे हैं। अब इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने भी सरकार से कहा है कि वह चीन से पाकिस्तानियों को वापस नहीं लाने के फैसले पर पुनर्विचार करे। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्ला ने कोरोना वायरस मामले में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर दायर याचिका पर सुनवाई की। विदेश मंत्रालय की तरफ से इस मामले में रिपोर्ट अदालत को दी गई।

न्यायाधीश अतहर मिनल्ला ने कहा कि बांग्लादेश व तमाम अन्य देश अपने नागरिकों को चीन से वापस ला रहे हैं लेकिन पाकिस्तानी विद्यार्थी वुहान में कैद होकर रह गए हैं। बांग्लादेश अपने नागरिकों को वहां से निकाल सकता है तो पाकिस्तान क्यों नहीं। सवाल है कि केवल हम ही अपने नागरिकों को वहां से क्यों नहीं निकाल रहे हैं।

अदालत की इस टिप्पणी पर सरकार की तरफ से कहा गया कि दुनिया के 194 देशों में से केवल 23 ने ही अपने नागरिकों को चीन से वापस बुलाया है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ‘अगर 23 देश निकाल सकते हैं तो पाकिस्तान क्यों नहीं। 23 देश अपने नागरिकों की सुरक्षा का इंतजाम कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं। आस्ट्रेलिया, चीन से लाए गए अपने लोगों को एहतियातन किसी टापू पर रख रहा है। आप ग्वादर (समुद्र तटीय इलाका) में रख लीजिए।’

इस पर विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि ने अदालत से कहा कि वुहान को चीन ने पूरी तरह से बंद रखा हुआ है। वहां एक हजार पाकिस्तानी हैं। चीन ने विश्वास दिलाया है कि वहां पाकिस्तानियों का पूरा ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि चीन से पाकिस्तानियों के आने पर रोक नहीं है, केवल वुहान से कोई नहीं आ सकता। भारत ने वहां से कुछ लोग निकाले हैं लेकिन अभी भी उसके 80 फीसदी लोग फंसे हुए हैं। चीन सरकार से पाकिस्तान सरकार ने वुहान जाने की इजाजत मांगी थी जो नहीं मिली।

अदालत ने मंत्रालय के प्रतिनिधि से कहा कि ‘आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि नागरिकों को निकाला तो किसी देश से संबंध खराब हो जाएंगे। अदालत नहीं चाहती कि वायरस फैले लेकिन पाकिस्तानी नागरिकों की सुरक्षा चाहती है। अदालत कोई आदेश नहीं जारी कर रही है लेकिन चाहती है कि सरकार चीन से पाकिस्तानियों को नहीं निकालने के फैसले पर पुनर्विचार करे।’

 

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