हरियाणा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर ने शनिवार को सिरसा से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। डॉ. तंवर ने अपने पिता श्री दिलबाग सिंह, पत्नी अवंतिका माकन तंवर, बच्चों व ऑल इंडिया एससी कमीशन के पूर्व वाईस चैयरमैन राजकुमार वेरका के साथ लघु सचिवालय में जाकर नामांकन पत्र दाखिल किया।
इससे पहले अपना नामांकन पत्र भरने से पूर्व डॉ.अशोक तंवर ने सिरसा के बाजारों से पदयात्रा कर लोगों से भाजपा के कुशासन का अंत करने के लिए कांग्रेस को वोट देने की अपील की। डॉ.अशोक तंवर के समर्थन में शनिवार को सिरसा संसदीय क्षेत्र के सभी बड़े कांग्रेस नेता एक ही मंच पर दिखाई दिए और मंच के माध्यम से ये विश्वास दिलाया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से विजयी बनाने का काम करेगें। डॉ. तंवर को आर्शीवाद देने सिरसा के ऐतिहासिक नेहरू पार्क में उमड़े जनसैलाब को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि मै सिरसा का लाल हूं और सिरसा मेरी कर्मभूमि है, इसलिए मेरा और मेरे परिवारजनों का पूरा जीवन सिरसा के लोगों को समर्पित है।
उन्होने कहा कि मैने बतौर सांसद इस क्षेत्र के लिए 45000 करोड़ रूपये की परियोजनाएं लाने का काम किया था और अब जब दोबारा आपके आर्शीवाद से मुझे मौका मिलेगा तो मैं आपको ये विश्वास दिलाता हूं कि सिरसा संसदीय क्षेत्र के लिए एक लाख करोड़ रूपये की परियोजनाएं लाने का काम करूंगा।
उन्होने जोर देकर कहां कि कांग्रेस ने आजतक जो भी कहां है, वो कर के दिखाया है और इसीलिए कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र का नाम ‘हम निभाएगें’ रखा है।
अशोक तंवर ने अपनी पढ़ाई दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविघालय से की है। डॉ.अशोक तंवर ने एम.ए.,एम.फिल. और इतिहास में पी.एच.डी. की पढ़ाई यहां से पूरी की है। अशोक तंवर ने जेएनयू में शिक्षा के साथ ही छात्र राजनीति में भी सक्रिय भागीदारी निभाई है। तंवर ने अपने छात्रकाल के दौरान एनएसयूआई के झंडे तले पहले छात्र संघ चुनावों में सचिव का चुनाव जीतकर संगठन को ताकत देने का काम किया तो इसके बाद अध्यक्ष पद पर काबिज होकर भी छात्रों की आवाज को उठाने का काम करने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।
गौरतलब है कि अशोक तंवर युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे चुके हैं।
सिरसा लोकसभा सीट पर अब तक हुए 13 चुनावों में कांग्रेस के अशोक तंवर के नाम सबसे अधिक वोटों से जीत का रिकॉर्ड है। अशोक तंवर ने 2009 में अपने प्रतिद्वंद्वी इनेलो के डॉ. सीताराम को 225921 वोटों के अंतर से हराया था। इसी प्रकार से 1996 में कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने अपने प्रतिद्वंद्वी समता पार्टी के सुशील इंदौरा को सबसे कम 15147 वोटों से हराया था। सबसे अधिक व सबसे कम वोटों से जीत का रिकॉर्ड इस सीट पर कांग्रेस के नाम ही है।
This post was last modified on April 20, 2019 7:12 PM
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