दुनिया के सबसे महान मुक्केबाज मोहम्मद अली दुनिया के सबसे बड़े हेवीवेट मुक्केबाज मानें जाते है। उन्होंने 3 बार ‘हेवीवेट चैम्पियन’ बन कर दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 3 जून 2016 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। आज उनकी पुण्यतिथि है।
मोहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी 1942 को अमेरिका के केंटुकी में हुआ था। उनका असली नाम कैसियस मर्सेलुस क्ले जूनियर था। महज 12 साल की उम्र में बॉक्सर बनने का निश्चय करने के बाद वह आगे चल दुनिया के सबसे महान मुक्केबाज बने। उन्होंने महज 22 वर्ष की आयु में हेवीवेट चैंपियन सोनी लिस्टन को हराया और दुनिया को हैरान कर दिया। उनकी इस परफॉरमेंस के बाद इस चैंपियन को बाद में मोहम्मद अली के नाम से जाना गया।
मुक्केबाज बनने की कहानी
मोहम्मद अली ने मुक्केबाज बनने का फैसला महज 12 साल की उम्र में ही कर लिया था। उनके मुक्केबाज बनने की कहानी उनकी साइकिल चोरी होने के साथ शुरू हुई। उन्होंने पुलिस अधिकारी जो मार्टिन से चोरी की शिकायत कर कहा कि वह चोर को घूंसा मारना चाहते है। इसके जवाब में पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘किसी को लड़ने से पहले तुम्हे अच्छी तरह लड़ना सीखना होगा।’ 6 हफ्ते बाद अली ने अपनी पहली बाउट जीत कर दिखाई।
कैसियस मर्सेलुस क्ले जूनियर से कब बने मोहम्मद अली
मोहम्मद अली बॉक्सर होने के साथ समाज की बुराईयों के खिलाफ भी खुल कर आवाज उठाते थे। उन्होंने अमेरिकी समाज में नस्लभेदी मानसिकता को खत्म करने के लिए कई काम किए। इस्लाम धर्म क़ुबूल करने का कारण भी यही था।
उन्होंने वर्ष 1964 में इस्लाम धर्म अपना लिया और अपना नाम मोहम्मद अली रख लिया। उन्होंने ऐसा रेस्टोरेंट में हुई एक घटना के बाद किया, जब रेस्टोरेंट में उन्हें टेबल देने से मना कर दिया गया। तब अली ने अपना गोल्ड मेडल फेंक दिया और कुछ वर्षों बाद इस्लाम धर्म अपना लिया था।
मजह 22 वर्ष की आयु में बने ‘हेवीवेट चैंपियन’
मुक्केबाजी के इतिहास में 25 फरवरी 1964 एक महत्वूर्ण दिन बन गया, क्योंकि इसी दिन अली ने कुछ ऐसा कर दिखाया जो शायद ही पहले किसी ने किया हो। इसी दिन नाजुक से कैशियस क्ले उर्फ़ मोहम्मद अली ने हेवीवेट चैंपियन सोनी लिस्टन को हरा कर दुनिया भर में सबको चौंका दिया। उन्होंने यह कारनामा महज 22 वर्ष की उम्र में किया था। इसके बाद वह 3 बार हेवीवेट चैंपियन बने।
3 बार खिताब जितने वाले इकलौते ‘विश्व हैवीवेट चैंपियन’
अली 3 बार लेनियल चैंपियनशिप जीतने वाले इकलौते विश्व हैवीवेट चैंपियन हैं। उन्होंने पहली बार यह खिताब वर्ष 1964 में जीता। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1974 और 1978 में भी खिताब अपने नाम कर इतिहास रच दिया। बॉक्सिंग में उनके अतुल्य योगदान के चलते उन्हें ‘महानतम’ (The Greatest) का उपनाम दिया गया।
अपने बॉक्सिंग करियर में उन्होंने कई बेहतरीन मैच खेले उनके कुछ यादगार मैचों में ‘फाइट ऑफ़ द सेंचुरी’, ‘सुपर फाइट 2’ और ‘थ्रिला इन मनीला’ और ‘रंबल इन द जंगल’ जैसे मैच शामिल हैं।
तीन साल के लिए लगा था बॉक्सिंग पर बैन
1967 में वियतनाम युद्ध के दौरान, अली ने धार्मिक कारणों का हवाला देते हुए अमेरिकी सेना में सेवा करने से मना कर दिया था। इसके बाद उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था। यही नहीं ‘न्यूयॉर्क स्टेट एथलेटिक कमीशन’ ने उनका बॉक्सिंग लाइसेंस भी रद्द कर दिया था और उनके टाइटल भी छीन लिए गए थे। अली को पांच साल की जेल के साथ दस हजार डॉलर का जुर्माना देना पड़ा था। बैन के बाद उन्होंने वर्ष 1970 में जेरी क्वेरी को नॉकआउट करके धमाकेदार वापसी की।
नदी में फेंक दिया था ओलंपिक गोल्ड मेडल
8 साल की उम्र में अली ने वर्ष 1960 में हुए ओलंपिक खेलों में 1 लाइट हेवीवेट में गोल्ड मेडल जीता था। 1975 में अपनी आत्मकथा में बताया कि वापस अमेरिका आने के बाद उन्होंने नस्लवाद के विरोध में अपना गोल्ड मेडल ओहायो नदी में फेंक दिया था। हालांकि ये किस्सा विवादित है। कुछ लोगों का मानना है कि अली ने अपना मेडल खो दिया था। 1996 में हुए ओलंपिक में अली ने उद्घाटन समारोह में उन्हें खोये हुए मेडल की जगह नया गोल्ड मेडल दिया गया था।
पूरे करियर में सिर्फ 5 बार हारे थे मोहम्मद अली
अपने बॉक्सिंग करियर में अली ने 61 फाइट्स लड़ी और 56 जीतीं, इनमें से 37 का फैसला नॉकआउट में हुआ। उन्हें अपने करियर में सिर्फ 5 बार हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने वर्ष 1981 में मुक्केबाजी से संन्यास ले लिया।
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