पुण्यतिथि विशेष: ‘टाइगर ऑफ मैसूर’ के नाम से मशहूर टीपू सुल्तान, जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

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टीपू सुल्तान दक्षिण भारत के महान शासकों में से एक थे। टाइगर को एक कटार से मार गिराने के बाद उनका नाम ‘टाइगर ऑफ मैसूर’ पड़ गया था। आज मैसूर के इस टाइगर की पुण्यतिथि है।

टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली (यूसुफाबाद) में हुआ था। उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। वह मैसूर राज्य के शक्तिशाली शासक थे। टीपू के पिता हैदर अली, पहले मैसूर साम्राज्य के सेनापति थे। अपनी ताकत के दम पर वह 1761 में मैसूर साम्राज्य के शासक बने।

एक शक्तिशाली शासक के अलावा टीपू की पहचान एक विद्वान, शक्तिशाली और योग्य कवि के तौर पर होती है। पुण्यतिथि पर आप भी जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

टीपू सुल्तान के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

1. कहा जाता है कि टीपू ने बचपन में पढ़ाई के साथ साथ सैन्य शिक्षा और राजनीतिक शिक्षा भी ली। टीपू काफी बहादुर होने के साथ ही दिमागी सूझबूझ से रणनीति बनाने में भी बेहद माहिर थे। उनकी महान समझ और शक्ति की वजह से वह युद्ध में अपने पिता के दाएं हाथ के रूप में काम करते थे।

2. टीपू ने अपने शासन काल में नए सिक्के और कैलेंडर चलाए। साथ ही कई हथियारों के आविष्कार भी किए।

3. अपने शासनकाल में भारत में बढ़ती ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के सामने वह कभी नहीं झुके और अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। टीपू ने मैसूर की दूसरी लड़ाई में अंग्रेजों को हराने में अपने पिता हैदर अली की काफी मदद की थी।

4. कहा जाता है कि टीपू ने हिन्दू मंदिरों को बेशकीमती भेंट दी थी। उन्होंने थालकोट के मन्दिर, ननजनगुड के श्रीकान्तेश्वर मन्दिर, श्रीरंगपटना के रंगनाथ मन्दिर समेत कई मंदिरों में सोने- चांदी की कई भेंट दी।

5. टीपू सुल्तान ने केवल 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ पहला युद्ध जीता था।

6. टीपू को ‘शेर-ए-मैसूर’ कहा जाता हैं। उनकी तलवार पर रत्नजड़ित बाघ बना हुआ था। बताया जाता हैं कि टीपू की मौत के बाद ये तलवार उसके शव के पास पड़ी मिली थी, जिसकी कीमत आज के समय में 21 करोड़ रुपए है। तलवार को अंग्रेज अपने साथ ब्रिटेन ले गए थे, जिसे 21 करोड़ रुपए में नीलाम किया गया था। इस नीलामी को अप्रैल 2010 में लंदन की नीलामी संस्था ‘सोदेबीजज’ द्वारा किया गया था। तलवार को उद्योगपति विजय माल्या ने खरीदा था।

7. टीपू ने लैंड रेवेन्यू सुधार के साथ-साथ मैसूर सिल्क उद्योग को भी विस्तार देने में अहम् भूमिका निभाई।

8. उनका कहना था कि, ‘हजारों साल सियार की तरह जीने से अच्छा है कि एक दिन बाघ की तरह जिया जाए।’

9. टीपू सुल्तान का निधन 4 मई 1799 को अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए हुआ।

10. भारतीय इतिहास में टीपू को काफी चतुर, होशियार और तेज-तर्रार बताया जाता है, जिनकी नजर में सारे धर्म बराबर थे। वहीं अंग्रेज विद्वान उन्हें अत्याचारी और धर्मान्त बताते हैं।

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