हिंसा की आग में जलने के बाद अब दिल्ली में राहत और बचाव का कार्य तेजी से चल रहा है। राज्य सरकार, पुलिस-प्रशासन सहित बड़ी संख्या में स्वंयसेवी संस्था लोगों की मदद को सामने आए हैं। हिंसा में अपना सबकुछ खो बैठे लोगों को मदद की काफी जरूरत है। ऐसे में हिंसा पीड़ितों के लिए JNU ने भी अपने दरवाजे खोल दिए हैं। JNU छात्र संघ ने हिंसा प्रभावित लोगों से कैंपस में शरण लेने की अपील की है। वहीं दूसरी तरफ JNU प्रशासन ने छात्र संघ के पदाधिकारियों को नोटिस भेजकर ऐसा करने से मना किया है और कहा है कि आपके पास ऐसा कोई कानूनी हक नहीं है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने ऐसे किसी भी प्रयास में शामिल छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। नोटिस में कहा गया है कि जेएनयू छात्र संघ को JNU परिसर को आश्रय गृह बनाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
JNU छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने ट्वीट किया, “एक तरह जहां JNU प्रशासन के आकाओं ने दिल्ली को जला दिया, वहीं जेएनयू प्रशासन ने हमें हिंसा पीड़ित लोगों को कैंपस से बाहर रखने की धमकी दी है। JNU 1984 में भी आश्रय के लिए खुला था, यह आज भी खुला रहेगा।”
..जब दंगे में फंसे कश्मीरी छात्र की जिंदगी दिल्ली पुलिस ने बचाई
This post was last modified on February 29, 2020 1:02 PM
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