देश को आर्थिक मंदी से उबारने में किसान बनेंगे मददगार

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नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)| देश को आर्थिक मंदी से उबारने में किसानों की अहम भूमिका हो सकती है, क्योंकि मानसून के इस साल मेहरबान रहने से खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार होने के साथ रबी फसलों की बुवाई में भी तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की धुरी है और अच्छी पैदावार होने से कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी, जिससे मंदी से उबरने के मार्ग खुलेंगे।

हालांकि प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. अरुण कुमार का कहना है कि कृषि पैदावार बढ़ने के साथ-साथ किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम मिलने से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने आईएएनएस से कहा, “खरीफ और रबी फसलों की पैदावार बढ़ने से निस्संदेह ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बशर्ते किसानों की आमदनी बढ़नी चाहिए और यह तभी होगा, जब किसानों को फसलों का वाजिब दाम मिले। इसके लिए यह सुनिश्चत करना होगा कि किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले।”

केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के बाद हाल ही में रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की घोषणा की है।

डॉ. कुमार ने कहा, “किसानों की आय बढ़ने से असंगठित क्षेत्र में मांग बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था की सेहत सुधर सकती है। इसलिए किसानों की आय बढ़ाना जरूरी है।”

गृहमंत्री अमित शाह ने भी हाल ही में महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव से पहले कहा था कि मानसून के दौरान अच्छी बारिश होने से खरीफ फसलों की पैदावार बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था की सेहत सुधरेगी।

शाह ने कहा था, “ईश्वर की कृपा से इस साल देश में मानसून के दौरान अच्छी बारिश हुई है, जिससे खरीफ सीजन के फसलों की पैदावार बढ़ेगी और कुछ ही दिनों में खरीफ की नई फसल बाजार में आने वाली है। मेरा अंदाजा है कि खरीफ की अच्छी फसल के कारण लगभग छह लाख करोड़ रुपये का नया ब्लड (इनफ्लो) बाजार में आएगा।”

खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान, उड़द, मूंग, कपास की नई फसल की आवक देश की प्रमुख मंडियों में शुरू हो चुकी है।

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि खरीफ और रबी फसलों की पैदावार बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, लोगों के पास पैसा आएगा तो उपभोग बढ़ेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में तेजी का माहौल बनेगा।

रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं, चना, मसूर और सरसों की बुवाई शुरू हो चुकी है और दिवाली के बाद बुवाई और जोर पकड़ेगी।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले वाले भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर), करनाल के निदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने आईएएनएस को बताया कि गेहूं और जौ की बुवाई के लिए मौसम अनुकूल है और पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई इलाकों में गेहूं की बुवाई शुरू हो चुकी है और आने वाले दिनों में बुवाई और जोर पकड़ेगी।

उन्होंने कहा कि इस बार मानसून के आखिर में अच्छी बारिश हुई है, जिससे देशभर के जलाशयों में पानी भरा हुआ है और खेतों में नमी है, इसके अलावा दिन-रात का औसत तापमान भी रबी फसलों की बुवाई के लिए अनुकूल है। उन्होंने कहा कि गेहूं की बुवाई के लिए दिन-रात का औसत तापमान 22 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए।

मध्यप्रदेश और राजस्थान में गेहूं, सरसों और चना की बुवाई पहले ही शुरू हो चुकी है। राजस्थान के गंगानगर के एक कारोबारी ने बताया कि इस साल जौ का बेहतर दाम मिलने से किसान इसकी बुवाई में दिलचस्पी ले रहे हैं। राजस्थान के कोटा के कारोबारी उत्तमचंद ने बताया कि लहसुन का भाव काफी ऊंचा रहने के कारण इस बार इसकी बुवाई का क्षेत्र बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि लहसुन की बुवाई शुरू हो चुकी है।

 

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