देश में नौ हजार स्थानों पर भारतीय मजदूर संघ ने किया विरोध-प्रदर्शन

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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। देश के कई राज्यों में श्रम कानूनों को शिथिल करने के विरोध में आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने बुधवार को देश भर में करीब नौ हजार स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया। सरकारी और निगम कार्यालयों के सामने कर्मचारियों और मजदूरों ने सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए राज्य सरकारों के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान श्रम कानूनों को खत्म करने के आर्डिनेंस को वापस लिए जाने की मांग हुई। दिल्ली में कुल तीन सौ स्थानों पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन हुए।

कोरोना काल में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात की सरकारों ने निवेश के लिए कंपनियों को आकर्षित करने के मकसद से कई श्रम कानूनों को पूरी तरह से हटाने का फैसला किया है। जिसको लेकर आरएसएस समर्थित भारतीय मजदूर संघ ने पिछले कई दिनों से मोर्चा खोला हुआ है। बुधवार को आयोजित विरोध प्रदर्शनों के दौरान पदाधिकारियों ने कहा कि इन तीन राज्यों ने सबसे ज्यादा श्रमिक विरोधी फैसले किए। वहीं राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा और ओडिशा में भी तीनों राज्यों के नक्शे कदम पर चलते हुए काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 घंटे कर मजदूर हितों की अनदेखी की गई।

भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार ने आईएएनएस से कहा कि श्रम कानूनों के उल्लंघन के कारण पहले से ही मजदूरों का हक छिनता आया है। ऐसे में कानूनों को पूरी तरह से हटा देने या उनमें ढील देने से मजदूरों का और शोषण होगा। दिल्ली में कुल तीन सौ और देश भर में नौ हजार से अधिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। संगठन ने काला कानून को वापस लेने की मांग करते हुए नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टैंसिंग सहित सभी प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन हुआ।

देश भर के सभी जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी कार्यालय, डीटीसी के डिपोए एमटीएनएल के कार्यालय, डाक विभाग के मंडल, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के कार्यालय, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड पर सुबह सात बजे से ही विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। अखिल भारतीय संगठन मंत्री बी सुरेंद्रन ने पालिका भवन और जिलाधिकारी कार्यालय नई दिल्ली पर विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री विरजेश उपाध्याय के मुताबिक 13 मई को संगठन की बैठक में राज्य सरकारों के श्रमिक विरोधी फैसलों को लेकर 20 मई को देश भर में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला हुआ था।

–आईएएनएस

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