Dev Deepawali 2019: दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन देव दिवाली का त्योहार मानाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसारा इस दिन भगवान शिव शंकर धरती पर आए थे। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन ही महादेव ने त्रिपुरा (Tripura) नामक राक्षस का वध अर उसके अत्याचार से देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। भगवान शिव के विजयोत्सव को मनाने और अत्याचारी राक्षस के वध की खुशी में देवता गण पृथ्वी पर आए थे और दीवाली मनाई थी। यही वजह है कि शिव की नगरी काशी यानी कि वाराणसी में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन धूमधाम से देव दीपावली मनाई जाती है। देव दिवाली के इस पर्व पर गंगा नदी के घाटों को दीए जलाकर रोशन किया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन शंकर भगवान ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसी खुशी में देवाओं ने इस दिन स्वर्ग लोक में दीपक जलाकर जश्न मनाया था। इसके बाद से हर साल इस दिन को देव दिवाली के रुप में मनाया जाता है। इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है।
इस त्योहार को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं। इस माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है। जिस वजह से कार्तिक पूर्णिमा के पूरे महीने को काफी पवित्र माना जाता है।
माना जाता है कि जो लोग इस दिन पूरब की तरफ मुंह करके दीये दान करते हैं, उनपर ईश्वर की कृपा होती है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन दीये दान करने वालों को ईश्वर लंबी आयु का वरदान देते हैं। साथ ही घर में सुख शांति का माहौल बना रहता है।
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