धोनी के लंबे आराम पर गावस्कर ने उठाए सवाल

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नई दिल्ली, 11 जनवरी (आईएएनएस)| भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने शनिवार को महेंद्र सिंह धोनी की टीम से ली गई लंबी छुट्टी पर सवाल उठाए हैं। धोनी ने आईसीसी विश्व कप-2019 में भारत को सेमीफाइनल में मिली हार के बाद से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेली है।

यहां 26वें लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल लेक्चर में गावस्कर ने कहा विह धोनी की फिटनेस के बारे में नहीं कह सकते।

गावस्कर ने यहां संवाददाताओं से कहा, “मैं फिटनेस के बारे में नहीं कह सकता, लेकिन मुझे लगता है कि सवाल धोनी को खुद से करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “10 जुलाई के बाद से उन्होंने अपने आप को चयन के लिए उपलब्ध नहीं बताया है। यह अहम बात है। क्या कोई इतने लंबे समय तक अपने आप को भारत के लिए खेलने से दूर रखता है? यह सवाल है और इसी में जवाब छुपा है।”

धोनी विश्व कप के बाद से क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं। उनकी जगह ऋषभ पंत को टी-20 विश्व कप में भारत के मुख्य विकेटकीपर की भूमिका में रखा जा रहा है। संजू सैमसन भी लगातार टीम का हिस्सा हैं। वह पुणे में शुक्रवार को श्रीलंका के खिलाफ खेले गए आखिरी टी-20 मैच में खेले थे।

गावस्कर ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा घरेलू क्रिकेट पर भी बात की और कहा कि रणजी ट्रॉफी में अनकैपड खिलाड़ियों को भत्ता बढ़ना चाहिए ताकि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के अंतर को कम किया जा सके।

लिटिल मास्टर ने कहा, “आईपीएल रणजी ट्रॉफी पर भारी है। जब तक मैच फीस में बढ़ावा नहीं किया जाएगा रणजी ट्रॉफी को भारतीय क्रिकेट के एक अनाथ बच्चे की तरह समझा जाएगा।”

गावस्कर ने कहा कि बीसीसीआई की आय का वो हिस्सा जो घरेलू खिलाड़ियों के हिस्से में जाता है वो काफी दिनों से बढ़ा नहीं है।

उन्होंने कहा, “रणजी ट्रॉफी में खिलाड़ियों का वेतन पिछले कुछ वर्षो से बढ़ा नहीं है और मुझे उम्मीद है कि सौरभ गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद से चीजें बदलेंगी, वह इस ओर ध्यान देंगे। अगर आप 14 दिन आईपीएल खेलने वाले खिलाड़ियों, जो लगातार प्रथम श्रेणी क्रिकेट नहीं खेलते हैं, और जो 80 दिन रणजी ट्रॉफी खेलते हैं, उनके वेतन को देखेंगे तो काफी अंतर पाएंगे, यह काफी बड़ा है। उम्मीद है कि इसमें अंतर होगा।”

गावस्कर ने हालांकि आईसीसी के चार दिन के टेस्ट मैच लाने के विचार पर कुछ भी कहने से मना कर दिया।

उन्होंने कहा, “मैं जो सोचता हूं वो मायने नहीं रखता। मौजूदा खिलाड़ी क्या सोचते हैं वो मायने रखता है क्योंकि उन्हें ही मैच खेलने हैं। उनसे चर्चा की जानी चाहिए। वह मैदान की स्थिति से काफी अच्छे से वाकिफ हैं।”

 

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