धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर पूर्वी उप्र में बढ़ा तनाव (आईएएनएस विशेष)

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लखनऊ, 13 जुलाई (आईएएनएस)| धर्म परिवर्तन के मुद्दे को लेकर हिंदू संगठनों और ईसाइयों के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में तनाव बढ़ रहा है। कुछ संगठन ईसाइयों पर हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगा रहे हैं, जिसके बाद से गिरजाघरों और पादरियों पर हमलों में तेजी आई है।

कई अधिकांश मामलों पर पुलिस पर आरोप है कि वह सिर्फ ईसाइयों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।

रायबरेली में दो पादरियों आजाद और कादी यादव को हाल ही में जबरन धर्मातरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

चार जुलाई को एक स्थानीय पादरी पर कुछ हिंदू संगठन के नेताओं द्वारा हमला किया गया।

पूर्वी क्षेत्र के जौनपुर, रॉबर्ट्सगंज, वाराणसी और गोरखपुर से भी ऐसे ही हमले होने की खबरें हैं।

जौनपुर वास्तव में सितंबर 2018 में चर्चो पर हिंसा और हमलों का गवाह बना था, जिसके बाद से कुछ चर्च बंद कराए गए थे।

अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने तब राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा से मुलाकात की और मामले में उनके हस्तक्षेप की मांग की थी।

मंत्री ने कहा, “पिछले साल दिसंबर में, अमेरिकी दूतावास से एक प्रतिनिधिमंडल आया और मुझे चचरें की एक सूची दी, जिसमे से अधिकतर जौनपुर, सुल्तानपुर, आजमगढ़ और कुछ अन्य जिलों में स्थित है”

उन्होंने कहा, “इसके बाद मैंने जिला अधिकारियों से बात की थी और बाद में चर्चो को फिर से खोल दिया गया था।”

जौनपुर चर्च के एक पुजारी राजिंदर चौहान का कहना है कि चर्च को फिर से खोलने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

उन्होंने कहा, “मुझे 15 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया था, क्योंकि जिला प्रशासन के साथ मिलकर हिंदू समूह नहीं चाहते कि हम यहां रहें।”

इन जिलों के पुलिस अधिकारियों ने दावा किया है कि उनके पास मामलों का विवरण नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें ‘अक्सर’ जबरन धर्मांतरण की शिकायतें मिलती रहीं हैं।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका स्थित ‘एलायंस डिफेंडिंग फ्रीडम’ (एडीएफ) ने कहा कि इस क्षेत्र में ईसाइयों के खिलाफ 125 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 110 पादरियों को धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

चौहान ने कहा कि रविवार को 2500 से अधिक लोग उनकी प्रार्थना सभाओं में भाग लेने आते हैं।

उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से मैं 2500 लोगों को प्रार्थना सभा में आने और शामिल होने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। वे इसलिए आते हैं, क्योंकि उन्हें यहां मानसिक शांति मिलती है।”

 

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