डीडीसीए सर्वोच्च अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रही है : संजय भारद्वाज

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नई दिल्ली, 16 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के निदेशक संजय भारद्वाज ने बीसीसीआई के चुनाव अधिकारी एन. गोपालस्वामी को पत्र लिखा है और कहा है कि डीडीसीए गलत तरीके से प्रशासकों की समिति (सीओए) से मान्यता प्राप्त संघ माना जाता है क्योंकि वह सर्वोच्च अदालत के नौ अगस्त 2018 के आदेश के फैसले को पालन नहीं कर रही है। भारद्वाज ने गोपालस्वामी को जो मेल लिखा है उसमें उन्होंने बताया है कि डीडीसीए किन-किन जगहों पर सर्वोच्च अदालत के आदेश का उल्लंघन कर रही है। इस मेल की एक प्रति आईएएनएस के पास है।

मेल में लिखा है, “डीडीसीए के पुराने संविधान में दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 जनवरी 2017 के आदेश के हिसाब से सुधार किए गए थे और इसे डीडीसीए की अंतिम एजीएम में मंजूरी भी मिली थी।”

उन्होंने लिखा है, “बाद में बीसीसीआई को सर्वोच्च अदालत ने नौ अगस्त 2018 को अपना संविधान बदलने का आदेश दिया और साथ ही कहा कि वह अपने सहयोगी संघों से इसी प्रक्रिया के मुताबिक अपने-अपने संविधान 30 दिन के अंदर मंजूर करे। डीडीसीए ने 16 सदस्यी शीर्ष परिषद के सामने अपने संविधान में सुधार किए और उसे मंजूरी दी, यह सब 4300 सदस्यों की जनरल बॉडी के सामने नहीं हुआ, इसलिए इसे मंजूरी मिलना गैरकानूनी है।”

उन्होंने लिखा, “संविधान सर्वोच्च अदालत के मुताबिक भी नहीं था। डीडीसीए का कोषाध्यक्ष मौजूदा विधायक है, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने जो संविधान मंजूर किया था उसमें साफ कहा गया था कि वो शख्स, जो मंत्री, सरकारी कर्मचारी, या किसी सरकारी कार्यालय में पदस्थ हो वो संघ में शामिल नहीं हो सकता।”

मेल में आगे लिखा है, “शीर्ष परिषद में नौ सदस्य होने चाहिए जबकि डीडीसीए की शीर्ष परिषद में 16 सदस्य हैं। इन 16 में से चार सरकार द्वारा नामित हैं जो लोढ़ा समिति की सिफारिशों के खिलाफ है।”

मेल में लिखा है, “सर्वोच्च अदालत के आदेश के मुताबिक नौ सदस्यों की शीर्ष परिषद में एक पुरुष क्रिकेटर और एक महिला क्रिकेटर का होना अनिवार्य है जो राज्य संघ की खिलाड़ियों की एसोसिएशन से आते हैं तो जबकि डीडीसीए की खिलाड़ियों की कोई एसोसिएशन ही नहीं है।”

उन्होंने लिखा, “तो किस आधार पर डीडीसीए को मान्यता प्राप्त संघ का दर्जा मिला है जबकि वह सर्वोच्च अदालत के कई आदेशों का अनुसरन नहीं कर रही है।”

भारद्वाज ने गोपालस्वामी से इस मामले को गंभीरता से देखने और सख्त कदम उठाने को कहा है।

 

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