नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस साल की शुरूआत में राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा से जुड़े एक मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी। अदालत ने आरोपी को यह देखते हुए जमानत दी है क्योंकि मामले के संबंध में फॉरेंसिक रिपोर्ट ने अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया।
हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा, “एफएसएल रिपोर्ट के परिणाम को ध्यान में रखते हुए, जो अभियोजन मामले और डीवीआर के परिणाम का समर्थन नहीं करती है, यह स्थापित नहीं होता है कि याचिकाकर्ता वर्तमान मामले में उस समय मौके पर मौजूद था, जब घटना हुई थी।”
न्यायाधीश ने कहा, “मेरा विचार हैं कि याचिकाकर्ता जमानत का हकदार है। तदनुसार, उसे 25,000 रुपये के निजी मुचलके और ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए समान राशि की जमानत पर रिहा किया जाएगा।”
अदालत ने योगेश नामक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। उसके खिलाफ करावल नगर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 302, 153ए, 436, 505, 34, और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एफएसएल रिपोर्ट में निकले निष्कर्ष के अनुसार, मृतक के शरीर से बरामद तीन गोलियां उक्त आरोपी व्यक्ति से बरामद देसी पिस्टल से नहीं लगी थी।
एफएसएल रिपोर्ट के परिणामों को देखने के बाद, पीठ ने याचिकाकर्ता को यह कहते हुए जमानत देने के साथ ही यह हिदायत भी दी कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी गवाह को प्रभावित नहीं करेगा या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा।
अदालत ने निष्कर्ष दिया, “ट्रायल कोर्ट आदेश पारित करते समय इस न्यायालय की ओर से किए गए अवलोकन से प्रभावित नहीं होगा।”
–आईएएनएस
एकेके/एएनएम
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