दिल्ली का ‘डर्टी-गेम’: ‘झपटमारी’ की एफआईआर ‘चोरी’ में लिख ‘थानेदार’ को घेर लेती है पुलिस! (आईएएनएस ए

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| स्कॉटलैंड स्टाइल में काम करने का दम भरने वाली दिल्ली की रोहिणी जिला पुलिस ने इन दिनों एक बेहद हास्यास्पद कथित कूटनीतिक अभियान चला रखा है। ताकि जिले के आला अफसरान बढ़ते ‘क्राइम-ग्राफ’ के वजन से खुद को दबा हुआ महसूस न करें। पुलिस मुख्यालय की नजरों में खुद को महफूज रख सकें।

जिले में अपराध के आंकड़ों को कम करने के इस बेहद खतरनाक ‘गेम’ में पहले तो ऊपर वाले अफसरान (जिला पुलिस उपायुक्त, सहायक पुलिस आयुक्त एसएचओ, इंस्पेक्टर) नीचे वालों को कथित तौर पर आगे बढ़ा दे रहे हैं! बाद में खुद की गर्दन फंसती देख, इन्हीं में से चंद अफसरान, ‘नीचे वालों’ यानी मातहत-अधीनस्थ पुलिसकर्मियों को ‘सस्पेंड’ या ‘लाइन-हाजिर’ करके या करवा के, खुद की खाल साफ बचा लेते हैं!

इस सबकी जड़ में थाना प्रशांत विहार इलाके के रोहिणी सेक्टर-13 में घटी ‘झपटमारी’ की घटना है, जिसमें प्रशांत विहार थाना पुलिस ने जबरिया ‘चोरी’ में ‘ई-एफआईआर’ दर्ज कर डाला। यह अलग बात है कि प्रशांत विहार पुलिस ने एफआईआर से बेहद संवेदनशील कानूनी दस्तावेज को दर्ज करने में जो ‘घटिया-खेल’, जिस पीड़िता के साथ किया, वह दिल्ली पुलिस से कई गुना तेज तौड़ने वाली ‘खिलाड़ी’ निकली।

इस ओछे खेल की खबर पीड़िता महिला ने दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को दे दी। मामला पलटा तो प्रशांत विहार थाने के एसएचओ जितेंद्र सिंह से लेकर जिला पुलिस उपायुक्त शंखधर मिश्रा (एस.डी. मिश्रा, दानिप्स से प्रमोटी आईपीएस 2006 बैच) उत्तरी परिक्षेत्र के संयुक्त पुलिस आयुक्त मनीष अग्रवाल तक को पसीना आ गया।

मामला महकमे के गले की फांस बनता देख, उत्तर परिक्षेत्र के विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) संजय सिंह ने मातहतों को आड़े हाथ ले लिया।

संजय सिंह ने आईएएनएस को बताया, “झपटमारी का केस चोरी में दर्ज करने का आरोप प्राथमिक जांच में सही मिला है। आरोपी सहायक उप-निरीक्षक सखाराम को निलंबित करके जिला पुलिस लाइन भेज दिया गया है।”

उधर आईएएनएस ने दिल्ली पुलिस प्रवक्ता और मध्य दिल्ली जिले के पुलिस उपायुक्त मंदीप सिंह रंधावा से बात की। उन्होंने बताया, “लापरवाही का यह मामला रोहिणी जिले का है, लिहाजा जिला डीसीपी शंखधर मिश्रा से बात की जाए तो बेहतर होगा।”

रविवार को रोहिणी जिला पुलिस उपायुक्त एस.डी. मिश्रा को कई बार मोबाइल कॉल और व्हाट्एप मैसेज डाले गए, लेकिन उनकी तरफ से दो-तीन घंटे तक कोई जबाब नहीं आया। उसके बाद उत्तरी दिल्ली परिक्षेत्र के विशेष आयुक्त संजय सिंह के आदेश पर एस.डी. मिश्रा ने आईएएनएस को कॉल कर के बताया कि आरोपी सहायक उप-निरीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया है।

हालांकि जब आईएएनएस ने प्रशांत विहार थाने के लैंड-लाइन फोन पर पूछा तो, बताया गया कि आरोपी थानेदार सखाराम तो प्रशांत विहार थाने में घूम रहा है।

खुद को ड्यूटी अफसर कहने वाली महिला पुलिसकर्मी ने आईएएनएस को टेलीफोन पर बताया, “साहब (एएसआई सखाराम) बहुत अच्छे हैं। उन्हें सस्पेंड करवा के लाइन क्यों भिजवा रहे हो?” आईएएनएस ने पूछा, “झपटमारी की घटना को चोरी की घटना बनाने की कलाकारी करने वाले एएसआई सखाराम कैसे अच्छे हो गए?” इस पर दूसरी तरफ से फोन डिस्कनेक्ट कर दिया गया।

घटनाक्रम के मुताबिक, ज्योति दूहन राठी (35) प्रिंटर अपार्टमेंट रोहिणी सेक्टर-13 में पति और बेटे के साथ रहती हैं। ज्योति दिल्ली बाल अधिकारी संरक्षण आयोग की सदस्य हैं। शुक्रवार सुबह बेटे को स्कूल छोड़कर लौट रही थीं कि कॉलोनी के गेट पर उन्हें चार गुंडों ने घेर लिया।

चारों गुंडे काले रंग की दो मोटरसाइकिलों पर सवार थे। उन्होंने हेलमेट लगा रखे थे। सुबह करीब सवा नौ बजे झपटमारों ने ज्योति से उनकी सोने की चेन झपट ली।

छीना-झपटी के दौरान सड़क पर गिरने से ज्योति के बदन में चोटें आईं। घटना पास ही स्थित सीसीटीवी में कैद हो गई। ज्योति ने आईएएनएस को बताया, “झपटमार उनसे करीब 80 ग्राम वजन की सोने की चेन झपट ले गए। झपटमारों के हाथ लगी सोने की चेन की बाजार में अनुमानित कीमत तीन लाख रुपये तक हो सकती है।”

पीड़िता के मुताबिक, वारदात से घबराई वह तुरंत ही रोहिणी जिले के अंतर्गत संचालित थाना प्रशांत विहार गईं। उन्होंने अपने साथ हुई झपटमारी का संपूर्ण घटनाक्रम लिख कर देना शुरू किया ही था कि सहायक उप-निरीक्षक सखा राम ने उन्हें शिकायत लिखने से बीच में ही रोक दिया।

झपटमारी की शिकार ज्योति राठी के मुताबिक, असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर सखा राम ने उन्हें एक ई-एफआईआर थमा दी। ई-एफआईआर में कहीं भी उनके चोट लगने का जिक्र ही नहीं था। न ही ई-एफआईआर में बदमाशों द्वारा सोने की भारी-भरकम चेन झपटने का जिक्र था।

ज्योति के मुताबिक, एफआईआर, बजाए झपटमारी की धाराओं के, चोरी की साधारण-सी धारा में दर्ज की गई थी, जिसमें सजा भी बहुत कम है।

सीपी साहब की उस नसीहत से सलामत रहने के लिए ही शायद रोहिणी जिला पुलिस द्वारा झपटमारी की घटनाओं को चोरी में दर्ज कर खुद को महफूज रखने के लिए यह नायाब फार्मूला (झपटमारी की एफआईआर चोरी में दर्ज करके) खोजा गया है!

रोहिणी जिला पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बिना डीसीपी दफ्तर, सब-डिवीजन एसीपी और थाने के एसएचओ की ‘हां’ के, धाराओं की अदला-बदली का यह घिनौना खेल संभव हो नहीं सकता है!

 

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