नई दिल्ली, 14 मई (आईएएनएस)| ऐसे में जबकि देश अपने सांसदों को चुनने में व्यस्त है, ऐसे समय में 1885-1902 के मध्य नव-गॉथिक शैली में निर्मित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल व हंगरी की संसद भवन की लुभावनी वास्तुकला की प्रदर्शनी राजधानी दिल्ली में लगने वाली है।
इस प्रदर्शनी को ‘द हंगरियन नेशनल एसेंबली’ नाम दिया गया है। प्रदर्शनी में धरोहर स्थल की भव्यता को दर्शाने वाली तस्वीरों को दिखाया जाएगा। इसका आयोजन हंगरियन नेशनल एसेंबली द्वारा किया जाएगा, जो इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 18 मई से 27 मई तक चलेगा।
बुडापेस्ट में डेन्यूब नदी के तट पर स्थित हंगरी का संसद भवन दुनिया के बड़े संसद भवनों में से एक है। अगर तथ्यों पर नजर डाले तो 265 मीटर लंबाई और 123 मीटर चौड़ाई में फैले इस भवन में कुल 29 द्वार हैं, जिनके जरिए 262 कमरों में प्रवेश किया जा सकता है।
हंगेरियाई सूचना और सांस्कृतिक केंद्र ने बताया, “देश की संप्रभुता को व्यक्त करती नई हंगेरियाई संसद भवन को बनाने के लिए 1880 के दशक में वास्तुकार की खोज के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया था। ”
केंद्र ने बताया, “प्रतियोगिता के विजेता इमर स्टेंडिल थे, जिन्होंने लंदन के हाउस ऑफ पार्लियामेंट के आधार पर आज के नव-गोथिक भवन को तैयार किया।”
इस भवन को बनने में करीब 17 साल लगे। अफसोस की बात यह रही कि इस भवन के डिजाइन के पूरा होने के पहले ही इमर स्टेंडिल अंधे हो गए और 1902 में उनकी मृत्यु हो गई।
भवन की डिजाइन पर अगर गौर फरमाए तो भवन में 242 मूर्तियां रखने के साथ ही विंडो ग्लास आर्ट, सीलिंग पेंटिंग, गोल्डस्मिथ आर्ट, गुंबददार छत, वाल पैनल और स्लावोनियन ओक से बनाए गए गॉथिक स्टाईल के दरवाजे-खिड़कियां और फर्नीचर इसकी खासियत हैं।
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