नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)| दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है। कुछ सीटों पर सुबह से लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। कुल 70 सीटों के लिए 672 प्रत्याशी मैदान में हैं। दिल्ली में करीब 1.47 करोड़ मतदाता हैं, इनमें करीब 66 लाख महिलाएं हैं। पिछला विधानसभा चुनाव 2015 में हुआ था। इस बार मुख्य मुकाबला भाजपा और आप के बीच ही नजर आ रहा है। सबकी नजर नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का केंद्र बने शाहीन बाग पर है जो ओखला विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है, यहां पांच पोलिंग बूथ हैं।
दिल्ली की जनता फ्री बिजली, पानी, बेहतर अस्पताल स्कूल के नाम पर वोट कर रही है या ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’, 5 साल में 10 लाख नौकरियों, हर घर में साफ पानी और शाहीन बाग जैसे मुद्दों पर, कहना मुश्किल है। लेकिन लोगों में साफ-साफ उत्साह देखा जा सकता है।
दिल्ली की करीब 1800 अनाधिकृत कालोनियों में 30 लाख से ज्यादा वोटर का आकलन राजनीतिक दलों का है। ये कॉलोनियां करीब 40 विधानसभा सीटों में हैं। दलों का ये भी दावा है कि 30 से ज्यादा विधासभा सीटें ऐसी हैं, जहां इन्हीं कॉलोनियों के मतदाता हार-जीत तय करते हैं। यही वजह है कि अनाधिकृत कॉलोनियों के बारे में आप और भाजपा ने अहम घोषणाएं की हैं।
लेकिन दिल्ली की वोटिंग पैटर्न को देखने के बाद लगता है कि हर चुनाव में लोगों का वोट डालने के प्रति रुझान गिर रहा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में 67.5 फीसदी वोट पड़े थे, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में यह वोट 65.1 फीसदी तक आ गया। वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में 65.61 फीसदी वोट रिकार्ड किए गए, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में यह मतदाता का प्रतिशत 60.56 तक आ गया। साफ है कि दिल्ली में चुनाव दर चुनाव मतदान गिर रहा है। चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों ने भी लोगों से मतदान की अपील की है ।
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