नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से कहा है कि यह दिल्ली पुलिस को तय करना है कि किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए या नहीं। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली पुलिस का है ना कि सुप्रीम कोर्ट का।
चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हमने एक मुद्दे को छोड़कर बाकी मामले का प्रभार नहीं लिया है .. जाहिर है कि हमारे हस्तक्षेप को गलत समझा गया है। हम आपको आपकी शक्तियों के बारे में नहीं बताएंगे।
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल के यह कहने के बाद की है कि केंद्र, दिल्ली में किसानों को रोकने के ऑर्डर देने की मांग कर रहा है क्योंकि अदालत ने इस मामले की जिम्मेदारी ले ली है।
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि यह तय करना कोर्ट का काम नहीं है कि शहर में कितने किसानों को अनुमति दी जानी चाहिए और उन पर कैसी शर्तें लगाई जानी चाहिए। इसका निर्णय करने का अधिकार केवल दिल्ली पुलिस का है।
भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) के वकील ए.पी. सिंह ने कहा कि किसान रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, किसे अनुमति दी जानी चाहिए और किसे नहीं यह सब दिल्ली पुलिस को देखना है।
बता दें कि गणतंत्र दिवस समारोह में रुकावट डालने के लिए किसान संघों को ट्रैक्टर रैली आयोजित करने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने शीर्ष अदालत का रुख किया है। एजी ने शीर्ष अदालत से मांग की है कि वे किसान संघों की रैली को प्रतिबंधित करने के लिए निर्देश दें ताकि गणतंत्र दिवस परेड में रुकावट न आए।
अब शीर्ष अदालत बुधवार को इस मामले पर आगे की सुनवाई करेगी।
–आईएएनएस
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