नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया गया। यह प्रस्ताव दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पेश किया। इस प्रस्ताव के माध्यम से केंद्र सरकार को एनपीआर और एनआरसी के बीच संबंध स्पष्ट करने को कहा गया है।
प्रस्ताव के जरिए एनपीआर का विरोध करते हुए गोपाल राय ने कहा, “एनपीआर और एनआरसी को अलग करके नहीं देखा जा सकता। ये दोनों कानून एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। एनपीआर और एनआरसी सिर्फ किसी एक समुदाय को धोखा नहीं हैं, बल्कि भारत के हर एक नागरिक की नागरिकता को धोखा है।”
गोपाल राय ने विधानसभा में कहा, “अगर हमारे पास कागज नहीं हैं तो क्या हम अपने ही देश में बाहरी घोषित किए जाएंगे।”
उन्होंने कहा, “सरकार एनपीआर और एनआरसी को वापस ले। इससे जुड़ी हुई सभी कावायदें रोक दी जाएं। अगर इसे लागू करना ही है तो एनपीआर को उसके उसी पुराने प्रारूप में लाया जाए। इसमें कोई नया बिंदु या प्रावधान शामिल न किया जाए।”
आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक आतिशी मार्लेना ने एनपीआर के विषय में कहा, “एनआरसी और एनपीआर को लेकर आज पूरे देश में दहशत मची हुई है, क्योंकि जो कागज एनआरसी और एनपीआर के लिए मांगे जाएंगे, मुझे नहीं लगता कि 80 से 90 फीसदी लोगों के पास वे कागज होंगे।”
आतिशी ने कहा, “इस विधानसभा सदन में ही आधे से ज्यादा लोगों के पास अपने जन्म प्रमाण-पत्र नहीं हैं और तकरीबन सभी के पास अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण-पत्र भी नहीं होगा। पहले लोग अपना जन्म प्रमाण-पत्र नहीं बनवाते थे। अधिकांश के जन्म गांव-देहात में हुए हैं। इन सबके अलावा केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों के तहत हमें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए लाइनों में खड़ा होना होगा। अगर हमारे पास कागज नहीं हुए तो बिना किसी पूछताछ के लोगों को डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा। असम के डिटेंशन सेंटर की कहानियों से पूरा देश दहशत में है।”
आप विधायक राघव चड्ढा ने कहा, “असम में एनआरसी की प्रक्रिया के तहत 19 लाख लोग बाहर हुए हैं। उसमें पांच लाख मुस्लिम और 14 लाख हिंदू हैं। एनपीआर और एनआरसी हर भारतीय के लिए बड़ा धोखा है।”
राघव ने कहा, “अगर आपके पास जन्म प्रमाण-पत्र नहीं है तो चाहे आप किसी भी धर्म के हों, आपको डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा। आपको इस देश का नागरिक नहीं माना जाएगा।”
आप विधायक जरनैल सिंह ने कहा, “जैसे नोटबंदी से नुकसान हुआ और बेहिसाब परेशानी के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ, वैसे ही एनपीआर और एनआरसी लागू करने से भी परेशानी और नुकसान के अलावा कुछ हासिल नहीं होने वाला। बेरोजगारी, बैंकों के घोटाले, गिरती जीडीपी, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम, सरकार की नाकामियों से ध्यान हटाने का नाम है एनपीआर और एनआरसी।”
This post was last modified on March 13, 2020 6:46 PM
नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…
इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…
अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना
KBC 14 Play Along 23 September, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 36: प्रसिद्ध डिजाइनर्स चार्ल्स…
राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…