नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी के छात्रों को वैदिक गणित से रुबरु कराया जा रहा है। भारतीय मनो-नैतिक शिक्षा को समर्पित संस्थान ‘प्रज्ञानम इंडिका’ और ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ संयुक्त रूप से छात्रों को वैदिक गणित से अवगत करा रहा है।
विश्वविद्यालय छात्रों के समक्ष वैदिक गणित के सोलह सूत्रों और तेरह प्रमेयों का व्यावहारिक उपयोग बताते हुए शोध, प्रबंधन, इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी में इसकेमहžव को रेखांकित किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. कैलाश विश्वकर्मा ने वेदों में गणित का उद्भव बताते हुए हुए वर्ग, वर्गमूल, घन, घनमूल, दश गुणोत्तरी संख्या की चर्चा की। उन्होंने कहा,भारत में प्रत्येक उत्पति स्वान्त सुखाय के लिए होती है जो आगे चलकर सर्वजन सुखाय हो जाती है। वैदिक गणित के साथ भी यही लागू होता है। वैदिक गणित द्वारा जीवन के गणित का निराकरण किया जा सकता है।
विश्वविद्यालयों के छात्रों को वैदिक गणित की जानकारी देने के लिए ’21वीं सदी में वैदिक गणित’ विषयक ऑनलाइन राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, डीटीयू समेत कई विश्वविद्यालयोंके टीचर्स एवं छात्रों के साथ-साथ ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी एवं दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह उपस्थित रहे।
योगेश सिंह ने कहा, हमें वैदिक गणित सहित समस्त भारतीय ज्ञान विज्ञान के प्रति अपना ²ष्टिकोण बदलने की जरूरत है। वैदिक गणित में 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने का सामथ्र्य है और इस सदी में यह निश्चित ही अपनी पहचान बनाने में कामयाब होगा। इसकी सफलता के लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रयास की जरूरतों पर विशेष बल दिया।
‘प्रज्ञानम इंडिका’ के संस्थापक निदेशक प्रोफेसर निरंजन कुमार ने वैदिक गणित के महžव को बताते हुए नए और आत्मनिर्भर भारत में उसके संभावित योगदान की बात की।
अतुल कोठारी ने भी वैदिक गणित के क्षेत्र में मनोयोग से कार्य करने की आवश्यकता बताई। योग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान विज्ञान और पद्धतियां विश्व में पुन: अपनी पहचान स्थापित कर रही है। वैदिक गणित को भी हम उसकी पहचान वापस दिला सकते हैं। वैदिक गणित को बढ़ावा देने के प्रयासों की चर्चा करते हुए उन्होंने शिक्षा के आनंददायक होने की बात पर भी बल दिया।
— आईएएनएस
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