डॉ. अंबेडकर की 64 वीं पुण्यतिथि पर महाराष्ट्र के नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

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मुंबई, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के सभी पार्टियों के नेताओं ने रविवार को भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार भारत रत्न डॉ.बी.आर.अंबेडकर को उनकी 64 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, मुंबई की महापौर किशोरी पेडनेकर समेत कई प्रमुख लोगों ने दादर में चैत्यभूमि जाकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही उनकी शिक्षाओं और आदशरें को याद किया।

बता दें कि 6 दिसंबर, 1956 को डॉ.अंबेडकर का चैत्यभूमि में ही अंतिम संस्कार किया गया था। आमतौर पर हर साल इस दिन पूरे भारत से अंबेडकर के 3 लाख से ज्यादा अनुयायी चैत्यभूमि में इकट्ठा होते हैं, लेकिन कोविड -19 महामारी के कारण इस साल उनके अनुयायियों ने घर पर रहना ही ठीक समझा।

हालांकि बृहन्मुंबई नगर निगम ने भारत और विदेशों में उनके प्रशंसकों के लिए यहां हुए कार्यक्रमों को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय टेलीविजन चैनलों पर सीधा प्रसारण कराया।

इस मौके पर श्रद्धांजलि देने वालों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात, अखिल भारतीय कांग्रेस एससी/एसटी विंग के प्रमुख और महाराष्ट्र के मंत्री डॉ.नितिन राउत, केंद्रीय समाज कल्याण राज्य मंत्री रामदास अठावले, और डॉ.भालचंद्र मुंगेकर शामिल हैं।

इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिपक्ष (विधानसभा) देवेंद्र फड़नवीस, विपक्ष के नेता (परिषद) प्रवीण दरेकर, भाई गिरकर, एमपी लोढ़ा, कालिदास कोलांबकर और अन्य नेता भी चैत्यधाम पहुंचे।

डॉ.अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू शहर में उनके माता-पिता की 14 वीं और अंतिम संतान के रूप में हुआ था। उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में सूबेदार थे।

पहले उनकी शिक्षा सतारा में हुई, फिर वे मुम्बई के एलफिंस्टन कॉलेज में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से हुई। उन्?होंने लंदन से बैरिस्टर-एट-लॉ की डिग्री भी हासिल की।

भारत लौटने के बाद वह महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, और कई अन्य लोगों के साथ देश के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद डॉ.अम्बेडकर नए स्वतंत्र देश के पहले केंद्रीय कानून मंत्री बने।

इसके साथ ही उन्होंने हाशिए पर जी रहे लोगों, दलितों, गरीबों के अधिकारों के लिए काम किया और उन्हें मुख्यधारा के समाज में समान अधिकार दिलाने के लिए कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक साधनों को अपनाकर दलित के मसीहा बने।

–आईएएनएस

एसडीजे/जेएनएस

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