Earth: पृथ्वी (Earth) पर जीवन के जरूरी तत्वों में से कार्बन (Carbon) सबसे अहम घटक है। पृथ्वी पर कार्बन मूलतः कहां से आया इस बारे में वैज्ञानिकों की पूर्व धारणा में बदलाव लाने वाला शोध सामने आया है। पृथ्वी (Earth) तक पहुंचने के लिए कार्बन को तारों की यात्रा (Interstellar journey) से गुजरना पड़ा था। नए शोध ने इसी यात्रा पर नई रोशनी डालने का काम किया है।
कार्बन (Carbon) पृथ्वी (Earth) पर जीवन चक्र का ही आधार नहीं है, बल्कि यह पृथ्वी की जलवायु को आवासीय बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। साइंस एडवांसेस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन दर्शाता है कि पृथ्वी पर ज्यादातर कर्बन अंतरतारकीय माध्यम (Interstellar Medium) से आया था। एक गेलैक्सी में यह स्थान तारों के बीच स्थित होता है। जब धूल के बादल और गैस से बनी प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क (Proto planetary) बनी होगी, उसी समय हमारे ग्रहों के निर्माण के मूल तत्व बने होंगे और गर्म हुए होंगे।
कार्बन (Carbon) हमारे सूर्य के निर्माण (Formation of Sun) के दस लाख सालों के अंदर ठोस रूप में फैला होगा इसका मतलब यह है कि कार्बन हमारे ग्रह के बनने से पहले बना था और अंतरतारकीय माध्यम (Interstellar Medium) से पृथ्वी तक आने में खुद को कायम भी रख सका था। इससे पहले शोधकर्ताओं का लगता था कि पृथ्वी पर कार्बन उन अणुओं के जरिए आया जो नेबुला की गैस में शुरुआत से मौजूद थे और उसके बाद एक पथरीले ग्रह में चले गए।
पहले अध्ययन में पाया गया है कि गैस के अणु जिनमें कार्बन (Carbon) था पृथ्वी के निर्माण के लिए उपलब्ध नहीं हो सके होंगे क्यों एक बार कार्बन वाष्पीकृत (Vapourization) हो जाता है तो वह वापस ठोस में नहीं बन पाता है। मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जैकी ली का कहना है कि “संघनन मॉडल का दशकों से व्यापक उपयोग हो रहा है। यह मान कर चलता है कि सूर्य के निर्माण (Formation of Sun) के दौरान सभी ग्रह के तत्व वाष्पीकृत हो गए थे और जैसे डिस्क ठंडी हुई इनमें से कुछ गैसे संघनित हुईं और उन्होंने ठोस पदार्थों को रासायनिक घटक पहुंचाने का काम किया. लेकिन ऐसा कार्बन के साथ नहीं हुआ था।
डिस्क (Protoplanetary Disc) तक पहुंचा बहुत सारा कार्बन (Carbon) जैविक अणुओं के रूप में था। जब कार्बन वाष्पीकृत हुआ तो इससे और उड़नशील चीजें बनीं जिन्हें ठोस बनने के लिए बहुत कम तापमान की जरूरत थी। इसके अलावा कार्बन वापस जैविक रूप में संघनित नहीं होता है। इसी वजह से ली और उनकी टीम ने यह नतीजा निकाला कि कार्बन सीधे अंतरतारकीय माध्यम (Intersteller Medium) से आया होगा और सौरमंडल के बीच वाष्पीकरण की प्रक्रिया से पूरी तरह से बच निकला होगा।
पृथ्वी (Earth) पर कार्बन (Carbon) कितना आया इसे बेहतर तरह से समझने के ले ली ने यह आंकलन किया कि पृथ्वी पर अधिकतम कितना कार्बन आ सकता है। इसके लिए उन्होंने पृथ्वी की क्रोड़ (Core) से भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves) कितनी तेजी से आती हैं और क्रोड़ की ज्ञात ध्वनि वेगों की तुलना की। इससे शोधकर्ताओं को पता चला कि कार्बन पृथ्वी के भार के आधे प्रतिशत से भी कम हो सकता है। इससे शोधकर्ताओं का यह पता लगाने में मद मिली कि यह कार्बन कब यहां आया होगा।
कार्बन (Carbon) को पृथ्वी (Earth) पर जीवन का समर्थन करने के लिए सही अनुपात में ही होने की जरूरत थी। ज्यादा कार्बन पृथ्वी के हालात शुक्र ग्रह (Venus) जैसे कर देता तो सूर्य की गर्मी लेकर यहां का तापमान 426 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा देता। अगर यह कार्बन बहुत कम होता तो यहां के हालात मंगल (Mars) के हालात की तरह होते। जो पानी पर आधारित जीवन को सहारा देने की स्थिति में नहीं है और यहां का औसत तपामान -60 डिग्री सेल्सियस होता।
This post was last modified on April 5, 2021 12:06 PM
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