उत्तर प्रदेश का फर्रुखाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एकबार फिर से नया सासंद चुनने को तैयार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद से बीजेपी के मुकेश राजपूत ने सपा के रामेश्वर यादव को मात दी थी। तीसरे स्थान पर बसपा के जयवीर सिंह रहे थे। इस बार भी बीजेपी ने मुकेश राजपूत पर दांव लगाया है। सपा-बसपा गठबंधन ने पूर्व एमएलसी मनोज अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद को टिकट दिया है।
फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं।
उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी दिशा में स्थित फर्रुखाबाद जनपद का इतिहास ताम्रयुग काल तक का मिलता है। कंपिल क्षेत्र में हुई खोदाई के दौर में मिले बर्तन हस्तिनापुर में मिले अवशेषों से मिलते जुलते हैं। महाभारत काल में भी जनपद को महत्वपूर्ण स्थान रहा है। कांपिल्य जो आज कंपिल के नाम से जाना जाता है कभी पांचाल राज्य की राजधानी हुआ करता था। द्रोपदी का जन्म यहीं होना माना जाता है और यहीं पर उनका स्वयंवर भी हुआ था। द्रोपदी कुंड आज भी विद्यमान है।
जैन तीर्थंकर कपिल देव का जन्म भी यहीं होने के मान्यता है। जनपद में स्थित संकिसा में भगवान बुद्ध के स्वर्गावतरण की भी मान्यता है। प्रतिवर्ष हजारों विदेश श्रद्धालु यहां बौद्ध स्तूप के दर्शन को आते हैं। शहर फर्रुखाबाद की स्थापना नवाब मोहम्मद खां बंगश ने वर्ष 1747 में नवाब फर्रुखसियर के नाम पर की थी। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में जनपद ने प्रमुखता से भागीदारी की। सैकड़ों लोगों को अंग्रेजों ने फांसी चढ़ा दिया। अंतिम नवाब तफज्जुल हुसैन खां को 1857 में मुल्कबदर कर उनकी मर्जी के अनुसार मक्का भेज दिया गया। वहीं उनकी मृत्यु हुई। द्वितीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक यहां कई बार आए।
गंगा, रामगंगा, कालिन्दी और ईसन नदी इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां हैं। पंडाबाग मंदिर यहां का सबसे प्राचीन मंदिर है। लखनऊ से फर्रुखाबाद की दूरी 191.4 किलोमीटर है वहीं दिल्ली से फर्रुखाबाद की दूरी 446.5 किलोमीटर है।
आजादी के बाद 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद का इलाका कानपुर संसदीय सीट के तहत आता था। फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ और कांग्रेस के मूलचंद दूबे यहां से जीतकर सांसद पहुंचे। इसके बाद 1962 में भी मूलचंद जीतने में सफल रहे, लेकिन 1962 में ही चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राममनोहर लोहिया ने जीत हासिल की। जनता पार्टी के दौर में दयाराम शाक्य ने दो बार संसद में जनपद का प्रतिनिधित्व किया। कांग्रेस नेता खुर्शीद आलम खां और उनके पुत्र सलमान खुर्शीद यहां से सांसद चुने गए और केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान पाया। अब तक 17 बार हो चुके लोकसभा चुनाव व उपचुनाव में सात बार यहां कांग्रेस ने बाजी मारी। जबकि तीन बार बीजेपी, दो बार सपा, दो बार जनता पार्टी और एक-एक बार जनता दल और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को जीत मिली है।
2014 के लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद संसदीय सीट पर 60.15 फीसदी मतदान हुए थे। इस सीट पर बीजेपी के मुकेश राजपूत ने सपा के रामेश्वर यादव को एक लाख 50 हजार 502 वोटों से मात देकर जीत हासिल की थी।
फर्रुखाबाद लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं – अलीगंज ,कैमगंज, अमृतसर भोजपुर और फर्रुखाबाद विधानसभा। मौजूदा समय में पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक, कुल जनसंख्या 2370591 है। इसमें 80.25 फीसदी ग्रामीण औैर 19.75 फीसदी शहरी आबादी है। अनुसूचित जाति की आबादी इस सीट पर 16.11 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.01 फीसदी है। इसके अलावा फर्रुखाबाद संसदीय सीट पर राजपूत और ओबीसी समुदाय में लोध और यादव मतदाताओं के साथ-साथ ब्राह्मण मतदाता काफी निर्णायक भूमिका में हैं। जबकि 14 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है।
निवर्तमान सांसद: मुकेश राजपूत
मुकेश राजपूत (भाजपा)- 4,06,195
रामेश्वर सिंह यादव (सपा)- 2,55,693
जयवीर सिंह (बसपा)- 1,14,521
सलमान खुर्शीद (कांग्रेस)- 95,543
अधिसूचना जारी | 2 अप्रैल |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 9 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 10 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 12 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 29 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
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