उत्तर प्रदेश में इत्र के शहर के नाम से मशहूर कन्नौज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एकबार फिर से नया सांसद चुनने को तैयार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने भाजपा के सुब्रत पाठक को हराया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एक बार फिर सपा ने बसपा और आरएलडी के गठबंधन के साथ मिलकर डिंपल यादव को टिकट दिया है तो वहीं भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार को कड़ी टक्कर देने वाले सुब्रत पाठक को टिकट दिया है।
कन्नौज लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होगा।
राजा हर्षवर्धन की नगरी कन्नौज, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। शहर का नाम संस्कृत के कान्यकुब्ज शब्द से बना है। कन्नौज एक प्राचीन नगरी है और कभी हिंदू साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित रहा है। माना जाता है कि कान्यकुब्ज ब्राह्मण मूल रूप से इसी स्थान के हैं। पुरातत्व संग्रहालय, लाख बहोसी सेंचुरी, गौरी शंकर मंदिर अन्नपूरणा मंदिर यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। दुनिया भर में कन्नौज का इत्र मशहूर है तो गुलाब जल व सुगंधित तम्बाकू का भी कारोबार है।
कन्नौज में समाजवादी विचारधारा का झंडा हमेशा बुलंद होता रहा है। इस संसदीय क्षेत्र में 1967 तक रहा कांग्रेस का दबदबा राममनोहर लोहिया ने तोड़ा और लगातार आगे बढ़े। वहीं वर्ष 1999 से अब तक हुए आम चुनाव और उप चुनाव में लगातार सपा जीती। अखिलेश यादव ने हैट्रिक मारी। उनके मुख्यमंत्री बनने पर जब डिंपल को लड़ाया गया वह निर्विरोध जीती। मोदी लहर में सुब्रत पाठक ने जरूर लड़ाई दिखाई लेकिन हार गई। यहां भाजपा केवल एक बार वर्ष 1998 में जीती।
कन्नौज की प्रमुख विधानसभा सीटों में छिबरामऊ, तिर्वा, कन्नौज, विधुना और रसूलाबाद शामिल हैं। कन्नौज में तीन विधानसभा सीट कन्नौज सदर, छिबरामऊ और तिर्वा है। एक सीट कानपुर देहात की रसूलाबाद, एक सीट औरैया की विधूना है। कन्नौज में सदर पर सपा और बाकी दोनों सीटों पर भाजपा काबिज है। कन्नौज लोकसभा सीट पर लगभग 18,08,889 मतदाता हैं जिसमें सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता है जिनकी संख्या करीब 6 लाख तो वहीं यादव मतदाताओं की संख्या करीब 3 लाख और राजपूत मतदाताओं की संख्या भी करीब 2 लाख तक है।
भाजपा के सामने सपा का शानदार ट्रैक रिकार्ड है। सात बार लगातार सपा यहां से जीत रही है। भाजपा अब सिलसिले को इस बार तोड़ने के लिए पूरी शिद्दत से जुटी है तो यहां की सांसद डिंपल यादव खुद की जीत की हैट्रिक लगाने की पुरजोर कोशिश में हैं। यहां लड़ाई डिंपल बनाम सुब्रत पाठक से ज्यादा मोदी बनाम अखिलेश-मायावती भी हो रही है।
निवर्तमान सांसद: डिंपल यादव
डिंपल यादव, सपा – 4,89,164
सुब्रत पाठक, भाजपा – 2,89,603
निर्मल तिवारी, बसपा – 2,42,913
अधिसूचना जारी | 2 अप्रैल |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 9 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 10 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 12 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 29 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
This post was last modified on April 29, 2019 12:47 AM
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