उत्तर प्रदेश का संभल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एक बार फिर से नया सांसद चुनने को तैयार है। इस सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। लेकिन 2014 के मोदी लहर में यहां भाजपा ने सेंध लगा कर कमल खिला दिया था और सत्यपाल सैनी ने जीत हासिल की थी। सत्यपाल सिंह सैनी ने सपा के शफीक उर रहमान बर्क को करीबी मुकाबले में सिर्फ 5 हजार वोटों से हराया था। मगर इस बार सत्यपाल सिंह सैनी का टिकट कट गया और भाजपा ने परमेश्वर लाल सैनी को मैदान में उतारा है।
संभल लोकसभा सीट पर इस बार 12 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के परमेश्वर लाल सैनी, समाजवादी पार्टी के डॉक्टर शफीकुर रहमान बार्क और कांग्रेस के मेजर जगत पाल सिंह के बीच रहेगा। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के करण सिंह यादव भी मैदान में हैं। 3 निर्दलीय समेत 5 क्षेत्रीय दलों के नेता भी अपनी उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं।
संभल लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई, इमरजेंसी के बाद देश में पहली बार चुनाव हुए और तब यहां से चौधरी चरण सिंह की पार्टी रालोद ने जीत दर्ज की। उसके बाद 1980 और 1984 में लगातार कांग्रेस फिर 1989 और 1991 में जनता दल ने ये सीट जीती। 1996 में बाहुबली डीपी यादव ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर इस सीट पर कब्जा किया।
1998 में ये सीट वीआईपी सीटों की गिनती में आ गई जब तत्कालीन समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। इसके बाद 1999 में भी वह यहां से चुनाव जीते। 2004 में उनके भाई प्रोफेसर रामगोपाल यादव यहां से सांसद चुने गए, लेकिन 2009 में बहुजन समाज पार्टी ने यहां से जीत हासिल की।
रामपुर, अमरोहा और मुरादाबाद जैसी सीटों से सटी हुई संभल लोकसभा में भी मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व है। यही कारण रहा कि भारतीय जनता पार्टी के लिए ये सीट मुश्किल मानी जाती थी, लेकिन 2014 में भाजपा ने यहां फतह हासिल की।
संभल लोकसभा क्षेत्र में करीब 18 लाख से अधिक मतदाता हैं, इनमें 9,78,321 पुरुष और 8,35,392 महिला वोटर्स हैं। 2014 में यहां कुल 62.4 फीसदी वोट पड़े थे।
संभल लोकसभा के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें (कुन्दरकी, बिलारी, चंदौसी, असमोली और संभल) आती हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ चंदौसी विधानसभा ही भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थी, जबकि अन्य सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा।
2014 के लोकसभा चुनाव में संभल सीट पर मुकाबला कांटेदार रहा था। भारतीय जनता पार्टी के सत्यपाल सैनी और समाजवादी पार्टी के शफीक उर रहमान बर्क के बीच जीत-हार में सिर्फ 5,000 वोटों का अंतर था। सत्यपाल सैनी को कुल 3,60,242 वोट मिले थे जबकि सपा से शफीक उर रहमान बर्क को 3,55,068 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा उम्मीदवार अकील उर रहमान खान को 2,52,640 वोट मिले थे।
तब राजनीतिक पंडितों का मानना था कि सपा और बसपा में यहां मुस्लिम वोट बंट गए थे, यही कारण रहा कि भाजपा को फायदा मिला और वह जीत गई थी। हालांकि इस बार सपा और बसपा मिल गए हैं और साथ में चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में भाजपा के लिए इस बार लड़ाई आसान नहीं होने वाली है।
संभल लोकसभा सीट पर इस बार 12 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के परमेश्वर लाल सैनी, समाजवादी पार्टी के डॉक्टर शफीकुर रहमान बर्क और कांग्रेस के मेजर जगत पाल सिंह के बीच रहेगा। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के करण सिंह यादव भी मैदान में हैं। 3 निर्दलीय समेत 5 क्षेत्रीय दलों के नेता भी अपनी उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं।
निवर्तमान सांसद: सत्यपाल सैनी
सत्यपाल सैनी (भाजपा) – 3,60,242
शफीक उर रहमान बर्क (सपा) – 3,55,068
अकील उर रहमान खान (बसपा) – 2,52,640
अधिसूचना जारी | 28 मार्च |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 4 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 5 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 8 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 23 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
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This post was last modified on April 23, 2019 7:38 PM
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