उत्तर प्रदेश का उन्नाव लोकसभा सीट एकबार फिर से नया ससांसद चुनने को तैयार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) साक्षी महाराज को उतारकर यहां से कमल खिलाने में कामयाब रही थी। साक्षी महाराज ने सपा के अरुण कुमार शुक्ला को तीन लाख मतों से हराया था। बीजेपी ने एक बार फिर साक्षी महाराज को टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस ने 2009 में इस सीट से जीत दर्ज कर चुकी अन्नू टंडन को अपना उम्मीदवार बनाया है। सपा, बसपा गठबंधन से सपा के खाते में यह सीट गई है। सपा ने इस सीट पर अरुण कुमार शुक्ला उर्फ अन्ना महाराज को अपना प्रत्याशी बनाया है।
उन्नाव लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को चुनाव होने हैं।
गंगा और सई नदी के बीच पड़ने वाले उन्नाव संसदीय क्षेत्र की पहचान कलम और तलवार के धनी जनपद के रूप में होती है। पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और शहीदे आजम चंद्रशेखर, हसरत मोहानी जैसे आजादी के दीवानों ने उन्नाव को अलग पहचान दिलाई है। यह लखनऊ और कानपुर के बीच में स्थित है, उन्नाव ज़िला मुख्यालय लखनऊ से लगभग 60 किलोमीटर और कानपुर से 18 किलोमीटर दूर है। यह शहर अपने चमड़े, मच्छरदानी, जरदोजी और रासायनिक उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है। उन्नाव अपने समोसे (कचौड़ी गली) चाट (छोटा चौराहा में मुन्ना की चाट) पाव भाजी और काला जामुन के लिए जाना जाता है।
उन्नाव संसदीय सीट के संसदीय इतिहास की बात करें तो आजादी के बाद से अब तक 16 बार लोकसभा चुनाव और एक बार उपचुनाव हुए हैं। इनमें से 9 बार कांग्रेस चुनाव जीतने में सफल रही तो चार बार बीजेपी को जीत मिली। सपा, बसपा और जनता पार्टी एक-एक बार जीतने में कामयाब रहीं। इस सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस के विश्वंभर दयाल त्रिपाठी जीतने में सफल रहे थे। कांग्रेस 1971 तक लगातार 6 बार जीतने के बाद 1977 में जनता पार्टी के हाथों मात खा गई। जनता पार्टी के राघवेंद्र सिंह जीतकर संसद पहुंचे। हालांकि 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की और 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में भी यह सीट अपने नाम करने में कामयाब रही।
हालांकि 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल ने अनवर अहमद को उतारकर कांग्रेस से यह सीट छीन ली। 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन जब अपने उफान पर था तो बीजेपी ने 1991 में पहली बार इस सीट पर खाता खोला और देवीबक्श सिंह सांसद बने। देवीबक्श ने इसके बाद 1996 और 1998 में भी चुनाव जीत कर जीत की हैट्रिक लगा दी।
1999 के लोकसभा चुनाव में सपा ने दीपक कुमार को उतारकर बीजेपी के विजय रथ को रोका तो 2004 में बसपा ने बृजेश पाठक को उतारा वो जीतने में कामयाब हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने 2009 में अनु टंडन के जरिए एक बार फिर वापसी की, लेकिन 2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने साक्षी महाराज को उतारकर जीत अपने नाम की।
2014 के लोकसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट पर 55.52 फीसदी मतदान हुए थे। बीजेपी उम्मीदवार साक्षी महाराज ने सपा के अरुण शुक्ला को करीब 3 लाख मतों से मात देकर जीत हासिल की थी। साक्षी को 5,18,834 वोट और अरुण शुक्ला को 2,08,661 वोट मिले थे जबकि चौथे स्थान पर रहने वाले बसपा के बृजेश पाठक को 2,00,176 वोट मिले।
उन्नाव लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा सीटें आती हैं- मोहान, उन्नाव, बांगरमऊ, सफीपुर, भगवंतनगर और पुरवा विधानसभा। सफीपुर और मोहान सीट विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्नाव सदर, भगवंतनगर, मोहान, सफीपुर, बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा जबकि पुरवा में बसपा विधायक अनिल सिंह जीते। हालांकि वह भी अब भाजपा के समर्थक हैं। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित भी उन्नाव लोकसभा की भगवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। बांगरमऊ के विधायक कुलदीप सिंह दुष्कर्म के मामले में आरोपित हैं और जेल भेजे गए हैं।
उन्नाव लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 31,08,367 है जिसमें 82.9 फीसदी ग्रामीण और 17.1 फीसदी आबादी शहरी है। 15 लाख से ज्यादा हिंदू मतदाता वाले इस सीट पर साक्षी महाराज इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी 30.52 फीसदी है।
उन्नाव लोकसभा सीट पर इस बार 9 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान सांसद स्वामी साक्षी महाराज का समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला और कांग्रेस के अन्नू टंडन के बीच है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने सतीश कुमार शुक्ला को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है। इस सीट पर महज एक उम्मीदवार बतौर निर्दलीय चुनाव में किस्मत आजमा रहा है।
निवर्तमान सांसद: साक्षी महाराज
स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज, भाजपा – 5,18,834
अरुण शंकर शुक्ला, सपा – 2,08,661
ब्रजेश पाठक, बसपा – 2,00,176
अधिसूचना जारी | 2 अप्रैल |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 9 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 10 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 12 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 29 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
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