एमफिल छात्रों की प्रयोगशाला ठप, यूजीसी से मांगा 6 महीने का समय

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नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)| कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है। इस लॉकडाउन का असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ा है। पीएचडी और एमफिल के छात्र लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इन छात्रों की सभी प्रयोगशाला बंद पड़ी हैं। इसके साथ ही कई एमफिल और पीएचडी छात्रों को इसी महीने अपनी थीसिस भी जमा करवानी है। इसके लिए यूजीसी से छह माह का अतिरिक्त समय मांगा गया है।

पीएचडी की छात्रा नूपुर ने कहा, पीएचडी तथा एमफिल के रिसर्चर को अपनी थीसिस जमा करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यूजीसी के नियमानुसार और दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यादेशों के मुताबिक शोध की डिग्री प्राप्त करने के लिए कई शोधार्थियों को सेमिनार, थीसिस जमा करवाना होता है। विश्वविद्यालय के अध्यादेश के अनुसार निर्धारित समय सीमा के अंदर इनमें से कई शोधार्थियों को अपना प्री-पीएचडी सेमिनार करना था अथवा पीएचडी, एमफिल थीसिस जमा करनी थी।

एक अन्य छात्र वेणु ने कहा, सेमेस्टर खत्म होने के तुरंत बाद छात्र ऐसा नहीं कर सके। चूंकि मार्च के दूसरे सप्ताह में ही विश्वविद्यालय अप्रत्याशित रूप से बंद हो गया, तथा महामारी के कारण पूरे देश में पूर्ण रूप से लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। अभी यह भी निश्चित नहीं है कि कब तक स्थिति सामान्य हो पाएगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसर अब ऐसे छात्रों की मदद को आगे आए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के वर्तमान सदस्य वी. एस. नेगी व पूर्व सदस्य ए. के. भागी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. डी. पी. सिंह को पीएचडी एवं एमफिल शोधार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक पत्र लिखा है।

भागी ने पत्र में कोविड -19 (कोरोना वायरस) के प्रकोप के कारण उत्पन्न हुई आपातकालीन परिस्थितियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है, इस महामारी के कहर से बहुत ही कष्टकारक स्थिति पैदा हो गई है, जिससे शोधार्थियों का भविष्य भी संकट में पड़ गया है।

डॉ.भागी ने कहा, संकट की इस घड़ी में शोधार्थियों के लिए फील्ड व प्रयोगशाला में जाकर शोध कार्य कर पाना भी संभव नहीं है। साथ ही पुस्तकालय भी मौजूदा समय मे उपलब्ध नहीं हैं। इतना ही नहीं, शोध कार्य हेतु संदर्भ पुस्तकें, ई-संसाधन तथा विशेषज्ञों के परामर्श की भी आवश्यकता होती है।

पत्र में अनुरोध किया गया है कि उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत सभी शोधार्थियों को पीएच.डी और एमफिल थीसिस जमा करने के लिए और छह महीने की और अतिरिक्त अवधि का विस्तार कर दें। साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों के लिए आवश्यक निर्देश जारी करें और अध्यादेश के तहत पूर्व-प्रस्तुत संगोष्ठी, थीसिस प्रस्तुति, प्री-सबमिशन और थीसिस प्रस्तुत करने के लिए अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के लिए अनिवार्य सभी चरणों हेतु निर्धारित समय-सीमा में छह महीने की छूट दें।

 

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