एटमी देशों को पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देंगी गंगा मिट्टी की मूर्तियां

Follow न्यूज्ड On  

वाराणसी, 19 दिसंबर (आईएएनएस)| भगवान शंकर की जटा से निकलने वाली गंगा की मिट्टी से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी में एटमी (परमाणु हथियारों से संपन्न) देशों को पर्यावरण सुरक्षा का पाठ पढ़ाने की तैयारी है। क्रिसमस-डे के मौके पर गंगा की मिट्टी से बने यीशु और मरियम की मूर्तियां पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश देंगी।

कई पुरस्कार से नवाजे जा चुके बद्री प्रजापति ने अपनी पोती रीमा के कहने पर इसे बनाया है। वाराणसी के लक्सा निवासी बद्री ने आईएएनएस को बताया कि वे बचपन से ही मूर्तियां बना रहे हैं। यह हुनर उन्होंने अपने पिता से सीखा था। इन मूर्तियों को बनाने में करीब एक माह का समय लगा है।

गंगा की मिट्टी और वाटर वर्निश से बनी मूर्तियों में लगभग 10 हजार का खर्च आता है। आग में पकी मूर्तियों में रंग भरने के बाद इनका प्रदर्शन क्रिसमस डे यानी 25 दिसंबर को होगा। यह प्रयास पर्यावरण सुरक्षा के मद्देनजर है। इसका उद्देश्य प्लास्टिक का इजाद करने वाले इंग्लैंड और अमेरिका के साथ-2 एटमी देशों को इसके प्रति जागरूक करना है।

बता दें कि बनारस के ज्ञान प्रवाह म्यूजियम में रखी बद्री की कलाकृतियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देख व सराह चुके हैं। बद्री लाखों मूर्तियां बना चुके हैं।

गंगा की मिट्टी से तैयार ये मूर्तियां सेंट थॉमस चर्च में सजाई जाएंगी। ये सजाई जाने वाली चरनी (झांकी) में प्रदर्शित होंगी। इन मूर्तियों में प्रभु यीशु, मदर मरियम, गडेरिये तो होंगे ही, जगत उद्धारक यीशु के जन्म पर उनका दर्शन करने आने वाले साधकों को भी बनाया गया है।

इस मूर्ति श्रंखला में गाय, बैल और ऊंट भी बनाए गए हैं। इन्हें भी झांकी में प्रदर्शित किया जाना है। इन्हें यीशु के जीवन से जुड़े संस्मरणों को ताजा करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

बद्री प्रजापति ने बताया, “दो वर्ष पहले ही मेरी पोती रीमा ने मिट्टी की मूर्तियां तैयार करने को कहा था, लेकिन तब मैंने मना कर दिया था। मुझे अब समझ मे आया है कि पर्यावरण प्रदूषण के जिम्मेदार देशों को इसका संदेश क्रिसमस-डे पर दिया जा सकता है।”

बता दें कि इंग्लैंड और अमेरिका ने प्लास्टिक का इजाद किया और अब वह पर्यावरण प्रदूषण का बड़ा कारण बना है। इसके साथ ही खुद को शक्ति सम्पन्न कहने वाले एटमी देश भी इसके बराबर के हिस्सेदार हैं।

विद्यापीठ में एमए द्वितीय वर्ष की छात्रा रीमा प्रजापति ने बताया, “गिरजाघर स्थित सेंट थॉमस चर्च में पर जाती हूं। जब प्लास्टिक का बहिष्कार हो रहा है, पर्यावरण रक्षा के लिए इस बार हम मिट्टी की मूर्तियों का प्रदर्शन करने जा रहे हैं।”

भारतीय मुद्रा पर अंकित अशोक स्तंभ की डिजाइन बद्री के पिता हरिराम प्रजापति ने तैयार की थी। उनके पिता को मिट्टी की अत्यंत छोटी कलातियां तैयार करने में महारथ हासिल हैं। उनकी कला से प्रभावित होकर वर्ष 1927 में अंग्रेज कलेक्टर और काशी स्टेट की ओर से उन्हें मेडल और प्रमाण प्रदान किया था जो अब भी सुरक्षित रखा है।

बद्री प्रजापति देश के कई म्यूजियम के लिए मिट्टी की मूर्तियां बना चुके हैं। इसमें फैजाबाद व ओरछा संग्रहालय में रखी रामदरबार व रावण की कलाकृति भी शामिल हैं।

 

Share

Recent Posts

जीआईटीएम गुरुग्राम ने उत्तर भारत में शीर्ष प्लेसमेंट अवार्ड अपने नाम किया

नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…

March 19, 2024

बिहार के नींव डालने वाले महापुरुषों के विचारों पर चल कर पुनर्स्थापित होगा मगध साम्राज्य।

इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…

March 12, 2024

BPSC : शिक्षक भर्ती का आवेदन अब 19 तक, बिहार लोक सेवा आयोग ने 22 तक का दिया विकल्प

अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।

July 17, 2023

जियो ने दिल्ली के बाद नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में ट्रू5जी सर्विस शुरु की

पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना

November 18, 2022

KBC 14: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कौन थे, जिन्होंने इंग्लैंड में भारत को अंतिम बार एक टेस्ट सीरीज जिताया था?

राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…

September 23, 2022