हम अक्सर सुनते आए हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और ये देश के बड़े हिस्से की रोजी-रोटी का साधन भी है। लेकिन आज देश के अन्नदाता की हालत इस कदर खस्ता है कि किसान आत्महत्या को मजबूर हैं। जब चुनावों का दौर आता है तो अक्सर देखा गया है कि किसानों की समस्याएं सुलझाने और उनकी कर्ज माफी को लेकर हर पार्टी बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में तो आ जाती है, लेकिन सत्ता में आते ही किसानों की समस्याएं भूलने लग जाती है।
राजस्थान में एक किसान की आत्महत्या दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां कांग्रेस के सत्ता में आते ही गहलोत सरकार ने किसानों के कर्ज माफी की घोषणा कर दी थी। लेकिन राजस्थान के श्रीगंगानगर के एक किसान की आत्महत्या करने के मामले ने सरकार की पोल खोल के रख दी है। गंगानगर के सांसद ने इस मसले को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के सामने उठाया है।
खबरों के अनुसार श्रीगंगानगर में ठकरी गांव के निवासी सोहनलाल मेघवाल ने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहराया है। किसान ने दो पन्नों के सुसाइड नोट में गहलोत सरकार पर कर्ज माफी का वादा पूरा न करने का आरोप लगाया है।
एनडीटीवी के मुताबिक, सोहनलाल ने खुदकुशी करने से पहले फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसके बाद उसके पड़ोसियों को इस बात का पता चल सका कि वो खुदकुशी करने वाला है। लेकिन फिर भी उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। जब तक आस पड़ोस के लोग उसके घर पहुंचे उससे पहले ही उसने जहर खा लिया था।
गौरतलब है कि पुलिस ने किसान के सुसाइड नोट की सोमवार तक पुष्टि नहीं की थी। लेकिन, जब सांसद निहालचंद ने मामला उठाया, तो पुलिस ने सुसाइड नोट की बरामदगी स्वीकारी। हालांकि, पुलिस ने अब भी सुसाइड नोट में किसान की राइटिंग की पुष्टि नहीं की है। पुलिस का कहना है कि एक्सपर्ट से हैंडराइटिंग की जांच करवाई जा रही है।
बैंक के कर्ज से परेशान किसान ने वीडियो के जरिए गहलोत सरकार को इमोशनल संदेश देते हुए कहा, ‘मैं खुद को मार रहा हूं। लेकिन मैं गहलोत सरकार से गुजारिश करता हूं कि वो किसानों की परेशानियों को समझे और उनका कर्ज चुकाए। अगर मैंने कुछ गलत किया है तो मैं अपने परिवार से भी माफी मांगना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि मेरी मौत के बाद हमारे गांव में फिर से एकता होगी।’
इस पूरे मामले पर डिप्टी सीएम सचिन पायल का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। इस घटना का हमें पछतावा है। मुझे अभी तक जो भी जानकारी मिली है, उसके मुताबिक, उस शख्स (किसान) पर कोई कर्जा नहीं था। राज्य में किसानों के बेहतर भविष्य के लिए राजस्थान सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्ज माफी को मुद्दा बनाया था। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद गहलोत सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने का ऐलान भी किया था। सीएम ने कहा था, ‘सहकारी बैंकों से लिया गया किसानों का पूरा अल्पकालीन कर्ज माफ होगा।’ सीएम की घोषणा के बाद कॉमर्शियल बैंकों से लिया गया 2 लाख रुपये तक का किसानों का कर्ज माफ किया जाना था। इससे प्रदेश सरकार पर लगभग 18 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार आने की बात कही गई थी।
आपको बता दें कि, बीजेपी ने आरोप लगाया है कि राज्य में किसानों का उतना कर्ज माफ नहीं हुआ, जितना की ऐलान किया गया था। सिर्फ एक रेश्यो में ही कर्ज माफ किया गया, जो कि कर्ज के बोझ तले दबे किसानों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है।
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