नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली में एक ऐसे फर्जी ‘कॉल-सेंटर’ का भंडाफोड़ हुआ है, जो खासकर ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को ठगता था। कॉल-सेंटर का भंडाफोड़ करने वाली दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने मालिक सहित तीन ठगों को गिरफ्तार किया है।
मामले का भंडाफोड़ तब हुआ जब, एक अप्रवासी भारतीय हीरोइन को इस गिरोह ने ठग लिया। पीड़िता ने साइबर ठगी की शिकायत दिल्ली पुलिस से की थी। अब तक हुई छानबीन में पुलिस को अंदेशा है कि यह गिरोह भारत से ऑस्ट्रेलिया में मौजूद 100 से ज्यादा लोगों से करोड़ों रुपये ठग चुका है। इस मामले की आगे की जांच में और भी खुलासे होने की उम्मीद है।
पुलिस साइबर क्राइम यूनिट के डीसीपी अन्येश रॉय ने आईएएनएस को बताया कि ‘शिकायतकर्ता आप्रवासी ईशा शरवानी इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में ही रह रही हैं।’
पीड़िता ने फोन पर ही दिल्ली पुलिस को कुछ दिन पहले बताया कि वे फिलहाल ऑस्ट्रेलिया में मौजूद हैं। उनके पास एक ऑस्ट्रेलियाई नंबर से कॉल आई थी। फोन कॉल करने वाले ने पीड़िता को बताया वह ऑस्ट्रेलियाई इनकम टैक्स ऑफिस से बोल रहा है। जिस नंबर से कॉल की गई, वह ऑस्ट्रेलिया की राजधानी का था।
डीसीपी रॉय ने आगे बताया कि फोन कॉल करने वाले ने अपने संभावित शिकार एनआरआई अभिनेत्री ईशा शरवानी को यह कहकर डराया कि उनके खिलाफ टैक्स के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट निकला हुआ है। इससे पीड़िता घबड़ा गईं। खुद को आस्ट्रेलियाई आयकर विभाग का अफसर बताने वाले ठग ने यह भी कहा कि तय समय-सीमा के भीतर पीड़िता ने टैक्स की पेनल्टी जमा नहीं की तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
फर्जी कॉल सेंटर से बात कर रहे ठग को जब लगा कि शिकार घबराकर पूरी तरह जाल में फंस चुका है, तब उसने पीड़िता से उनके खातों का ब्योरा भी हासिल कर लिया।
डीसीपी रॉय ने आगे बताया, “कुछ समय बाद ही ईशा को उनके ऑस्ट्रेलियाई एकाउंटेंट के नंबर से एक कॉल आती है। कॉल करने वाला कहता है कि भूलवश हमसे आपके एकाउंट्स में कुछ गलत लेन-देन हो गए हैं। अगर तुरंत भूल-सुधार नहीं किया गया तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार तक किया जा सकता है।”
घबराई हुई ईशा शरवानी करीब दो ढाई घंटे तक ठगों के जाल में उलझी हुई उनसे बात करती रहती हैं, इस उम्मीद में कि शायद बचाव का कोई रास्ता निकल आए। जब ठगों को लगा कि शिकार बुरी तरह घबराकर उनके जाल में फंस चुका है तो उन्होंने (ठगों ने) ईशा से 5700 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब तीन लाख भारतीय मुद्रा) जुर्माना राशि के बतौर एक भारतीय खाते में ट्रांसफर करा लिए।
ईशा को ऑस्ट्रेलियाई टैक्स की पेनल्टी भारत में मौजूद खाते में जमा कराए जाने पर कोई शक न हो, इसके लिए ठग कंपनी ने उन्हें समझाया कि ऑस्ट्रेलियाई टैक्स जमा करने के लिए एक ऑफिस भारत में भी है। इसलिए उनसे वसूली गई जुर्माना राशि भारत में मौजूद टैक्स खाते में जमा कराई गई है।
इस सबके कुछ देर बाद पीड़िता के पास एक और फोन-कॉल आती है, जिसमें उनसे कहा जाता है कि “तुम्हारे खाते की कुछ रकम संदिग्ध है और रकम आतंकवाद को समर्थन देने वाले खाते में जमा की गई है।”
इस दूसरी फोन-कॉल से पीड़िता का माथा ठनका। पीड़िता को पूरे मामले में बहुत कुछ संदिग्ध लगने लगा। ईशा ने जब ऑस्ट्रेलियाई पुलिस को पूरी बात बताई, तब खुलासा हुआ कि उन्हें साइबर ठगों ने ठग लिया है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया।
दिल्ली पुलिस साइबर सेल के डीसीपी ने आईएएनएस को आगे कहा कि मामला दर्ज करने के बाद पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर पकड़ लिया। गिरोह का मास्टरमाइंड और कॉल सेंटर सरगना, ईशा को ऑस्ट्रेलियाई टैक्स अफसर बनकर फोन-कॉल करने वाला और रकम को एकाउंट में ट्रांसफर करवाने वाले सहित तीनों ठगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने आगे बताया कि फिलहाल मामले की जांच अभी जारी है। संभव है कि आगे की जांच में कुछ और शिकायतकर्ता सामने आ जाएं।
उधर, दिल्ली पुलिस प्रवक्ता अनिल मित्तल ने आईएएनएस को बताया, “इस मामले में गिरफ्तार ठगों के नाम भनुज बेरी (24) निवासी उत्तम नगर (दिल्ली), पुनीत चड्ढा (34) निवासी रमेश नगर (दिल्ली) और ऋषभ खन्ना (23) निवासी विकासपुरी, दिल्ली है।”
पुलिस प्रवक्ता ने आगे बताया कि पीड़िता मौजूदा समय में पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में रह रही है।
साइबर ठगी के इस बड़े गिरोह का भंडाफोड़ करने के लिए दिल्ली पुलिस साइबर सेल ने सहायक पुलिस आयुक्त आदित्य गौतम की निगरानी में इंस्पेक्टर प्रवीण, सब-इंस्पेक्टर अवधेश, हरजीत, विजेंद्र, ब्रह्म प्रकाश, विमद दत्त, मदन मोहन सहित एसएआई वेद पाल, हवलदार नीरज पांडेय, राम कुमार व सिपाही प्रनॉय, आशीष, सचिन और अमित की एक विशेष टीम बनाई गई थी।
डीसीपी रॉय ने बताया कि पकड़ा गया ठग पुनीत चड्ढा बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर है। भनुज बेरी बी.कॉम ओपन लर्निग स्कूल से, जबकि ऋषभ खन्ना बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन का फाइनल इयर का छात्र है। तीनों फर्जी कॉल-सेंटर का संचालन विकासपुरी इलाके से कर रहे थे। ठगों ने सॉफ्टवेयर की मदद से ऐसा जुगाड़ खोज निकाला था कि दिल्ली से जाने वाली फोन-कॉल ऑस्ट्रेलिया में वहां के लोकल नंबर से आई हुई कॉल देखने में लगती थी।
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