गैर पारंपरिक युद्ध से बचने को शत्रुता खत्म करें : पाकिस्तानी अखबार

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नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)| पाकिस्तान के दो चर्चित दैनिक अखबारों ने गुरुवार को लिखा कि भारत व पाकिस्तान को तुरंत युद्ध वाली स्थिति खत्म करनी चाहिए और अगर दोनों परमाणु हथियार संपन्न पड़ोसियों के बीच गैर पारंपरिक युद्ध को रोकना है तो इसमें वैश्विक समुदाय को कूटनीतिक रूप से हस्तक्षेप करना चाहिए। इस बात की जानकारी दी। द डॉन ने कहा, “क्या होना चाहिए (अगला कदम) बिल्कुल साफ है। भारत व पाकिस्तान को तुरंत युद्धस्थिति को समाप्त करना चाहिए, वैश्विक समुदाय को तत्काल कूटनीतिक रूप से हस्तक्षेप करना चाहिए और किसी भी कीमत पर भारत व पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका जाना चाहिए।”

‘शांति का मकसद’ शीर्षक वाले एक संपादकीय में कहा गया कि इस्लामाबाद की बुधवार को सैन्य कार्रवाई जंग में तेजी लाने के लिए नहीं थी, बल्कि एक दिन पहले भारत द्वारा पाकिस्तानी क्षेत्र में गिराए गए बमों की यकीनन एक जरूरी और समानुपातिक प्रतिक्रिया थी।

इसमें कहा गया, “भारत को सैन्य कार्रवाई के अगले चरण से बचना चाहिए और विश्व को भारत को संयम रखने के लिए समझाना चाहिए। यहां से अकल्पनीय संघर्ष और तबाही के बीच की दूरी दोनों देशों के युद्ध रणनीतिकारों, योजनाकारों और निर्णयकर्ताओं की तुलना में कम हो सकती है।”

दैनिक अखबार में कहा गया है कि परमाणु युग में अगर युद्ध छिड़ता है तो असंगत पैमाने पर विनाश हो सकता है।

अखबार में कहा गया है, “इस क्षेत्र में हमेशा से युद्ध का एक विकल्प रहा है और भारत को उसे पहचानना चाहिए और शांति तक पहुंचना चाहिए।”

द डेली टाइम्स ने भी ऐसी ही बात कही और मंगलवार तड़के पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर वायुसेना की कार्रवाई के बाद से दक्षिण एशिया में पारंपरिक युद्ध जैसे हालात का खतरा मंडराता हुआ बताया।

दैनिक ने इस्लामाबाद से पूरे विश्व में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त सभी व्यक्तियों और समूहों के खिलाफ प्रयास तेज करने का आग्रह किया।

एक अलग संपादकीय में, डेली टाइम्स ने कहा कि युद्ध से अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचेगा जैसा कि भारतीय और पाकिस्तानी शेयर बाजारों में बुधवार को देखा गया। पाकिस्तान वायुसेना ने बुधवार सुबह भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी, जिसके बाद शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली थी।

डेली टाइम्स ने कहा, “दोनों देश सैन्य श्रेष्ठता के मामले में एक-दूसरे से आगे रहने के प्रयास में हर साल अरबों खर्च करते हैं, जबकि उनके लाखों लोग जीवन की बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहते हैं, जिनमें अच्छा आहार, पीने योग्य पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आश्रय शामिल है।”

 

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