गैर-तकनीकी स्नातक पाठ्यक्रमों में व्यवसायिक सामग्री आवश्यक

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नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)| सरकार समर्थित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को जिस तरह के कौशल की जरूरत है और हर साल जिस तरह के स्नातकों की आपूर्ति हो रही है, दोनों के बीच बहुत अंतर है। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गैर-तकनीकी और गैर-पेशेवर डिग्री पाठ्यक्रमों में 20-35 प्रतिशत व्यवसायिक सामग्री होनी चाहिए।

ऐसा तर्क दिया गया है कि इस कदम से उन लोगों को रोजगारपरक कौशल मिलेगा, जो इस तरह के पाठ्यक्रमों को पूरा करेंगे।

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उच्च शिक्षा और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में कोई मेल नहीं है, क्योंकि उच्च शिक्षा मात्र चार प्रतिशत कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है।

यह निष्कर्ष और सुझाव शिक्षा गुणवत्ता और उन्नयन कार्यक्रम (ईक्यूयूआईपी) रिपोर्ट का एक हिस्सा है, जिसका मकसद देश में शिक्षा की गुणवत्ता और इसकी सुलभता में सुधार लाना है।

ईक्यूयूआईपी के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कुछ विशेषज्ञों को शामिल किया है, जिन्हें 10 समूहों में बांट दिया गया है, ताकि वे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपना ध्यान केंद्रित कर सकें, जैसे कि पहुंच, सरकार द्वारा किए गए सुधार, शिक्षा, अनुसंधान और वित्त।

गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, हसमुख अधिया के नेतृत्व वाले समूह ने सुझाव दिया है, “एक मॉड्युलर डिजाइन के माध्यम से उच्च शिक्षा को अधिक मात्रा में रोजगारपरक बनाने की आवश्यकता है। हम सुझाव देंगे कि गैर-तकनीकि और गैर-पेशेवर डिग्री पाठ्यक्रमों (बीए, बीएसई और बीकॉम) में 20-35 प्रतिशत व्यवसायिक सामग्री होनी चाहिए।” इस समूह ने उच्च शिक्षा की सुलभता का विस्तार करने की रणनीति पर चर्चा की है।

इस समूह ने पाया कि आजकल अधिकतर पाठ्यक्रमों में रोजगार से संबंधित कौशल के अभाव में बेरोजगार स्नातक और स्नातोकोत्तरों की संख्या इतनी ज्यादा है और इसीलिए व्यवसायिक सामग्री का किसी पाठ्यक्रम में होना इतना आवश्यक है।

समूह की मांग है कि केंद्र सरकार राज्य को विद्यालयों में व्यवसायिक स्तर की शिक्षा प्रदान करने के मामले में सख्ती अपनाए।

नए कॉलेज या शिक्षण संस्थान खोलने के बजाय जो पहले से हैं, उनमें शिक्षा के स्तर में सुधार लाया जाए। यहीं इस समूह की मांग है। हालांकि इसमें पिछड़े इलाके शामिल नहीं हैं और वहां स्कूल या कॉलेज खोले जा सकते हैं।

मंत्रिमंडल में पारित होने से पहले ईक्यूयूआईपी का यह प्रस्ताव अंतर विभागीय परामर्श और मूल्यांकन के लिए जाएगा।

 

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