मूवी रिव्यू : तापसी पन्नू की फिल्म ‘गेम ओवर’ में दरअसल गेम स्टार्ट होता है!

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गेम ओवर नहीं, गेम स्टार्ट हुआ है। इस हफ्ते सिनेमा घरों मेंं  दस्तक दी है तापसी पन्नू की फिल्म गेम ओवर ने। अगर आप इस फिल्म को देखने की सोच रहे हैं तो उससे पहले इसका रिव्यू जरूर पढ़ लें। सबसे पहले ही वार्निंग दे दूं कि कमजोर दिल वाले इस फिल्म को बिलकुल न देखें लेकिन अगर आपको हॉरर मूवी पसंद है तो उसके लिए आपको फिल्म के सेकेंड हाफ का इंतजार करना होगा। अब वो इसलिए क्योंकि सेकेंड हाफ के बाद ये फिल्म आपको उठने नहीं देगी और पहले हाफ में आप बैठना नहीं चाहेंगे। फर्स्ट हाफ के लिए आप बोरिंग और डिप्रेसिंग जैसे वर्ल्ड इसमें इस्तेमाल कर सकते हैं।

फिल्म की कहानी

खैर बात करते हैं फिल्म की कहानी पर, जो शुरू होती है साल 2017 से गुड़गांव में। जहां एक किलर एक लड़की का मर्डर करके उसको जला देता है। लेकिन फिल्म की असल कहानी शुरू होती है 2018 से और ये कहनी है सपना यानी तापसी पन्नू की जो एक वीडियो गेम प्रोग्रामर है। वो अपने गुड़गांव के घर में सिर्फ काम वाली बाई कलम्मा के साथ रहती है। वैसे तो वे दिन में घर पर ही काम करती है लेकिन रात भर पबजी की जगह 90 के दशक का पैकमैन गेम क्यों खेलती है, ये समझ नहीं आता। इसके बाद कई चीजें जुड़ती हैं, जैसे की सपना के हाथ का टैटू, जो किसी मरे हुए इंसान की राख की इंक से बना हुआ है। इस टैटू में उसे एक साल बाद काफी दर्द होता है। सपना के साथ एक साल पहले सैक्सुअल असॉल्ट का हादसा हुआ होता है। जिसका गुनाहगार जेल में है लेकिन उसे अभी भी अंधेरे से बहुत डर लगता है।

और इन सब चीजों के साथ सेंकेंड हाफ में शुरू होता है असली गेम। यानी गेम ओवर नहीं गेम ऑन। यहां से कहानी वाकई एक गेम की हो जाती है। जिस तरह गेम में प्लेयर मर जाने के बाद चांस मिलता है उसी तरह सपना यानी तापसी को भी अपनी जिंदगी का चांस मिलता है। लेकिन ये चांस कब तक रहता है और सीरीयल किलर सपना को कितनी बार मार पाता है। इस अनोखे कॉन्सेप्ट को समझने के लिए आपको मूवी देखनी होगी। डायरेक्टर अश्विन सर्वनन ने पूरी कोशिश की है फिल्म की कहानी लोगों को अंदर तक समझ आए और खुद अश्विन सर्वनन और काव्या राजकुमार ने ये कहानी लिखी है, जो की लीक से हटकर है।  फिल्म में हमेशा की तरह तापसी ने अपना कैरेक्टर काफी दमदार तरीके से निभाया है। जिसे कहते हैं न एकदम परफैक्ट।

अब बात की फिल्म को देखना चाहिए की नहीं और इसमें क्या अच्छा है और क्या बुरा। बहुत ही आसान भाषा में हम इसका जवाब दें तो हां अगर आप कमजोर दिल के नहीं हैं तो फिल्म को देखना चाहिए। बुरा इसमें ये हैं कि फिल्म का फर्स्ट पार्ट सिर्फ भूमिका बनाने में ही काम आया है, जिसे अवॉयड किया जा सकता था लेकिन दूसरे पार्ट के लिए फिल्म को जरूर देखें। शायद आपका आधा पैसा तो जरूर वसूल हो जाएगा।

This post was last modified on June 14, 2019 1:19 PM

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