नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को फिल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल वार के मामले में सुनवाई करते हुए सभी पक्षों (भारतीय वायु सेना और फिल्म के निर्माताओं) को बैठक करने और सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान निकालने का प्रयास करने का सुझाव दिया।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने दोनों पक्षों के वकील से एक साथ बैठने और विचारों का आदान-प्रदान करके इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कहा।
अदालत ने हालांकि गुंजन सक्सेना-द कारगिल वार फिल्म को थिएटरों में रिलीज करने से रोकने के लिए केंद्र की ओर से दायर याचिका पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। केंद्र ने आरोप लगाया है कि फिल्म में भारतीय वायुसेना की छवि सही ढंग से प्रस्तुत नहीं की गई है और यह बल की छवि को प्रभावित करती है। अदालत ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि जो लोग फिल्म देखना चाहते थे, वे पहले से ही इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देख चुके हैं।
न्यायाधीश ने कहा, “कोविड-19 महामारी के दौरान कौन इस फिल्म को सिनेमाघरों में देखने जाएगा, जब पहले ही लोग इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देख चुके हैं।”
मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए लिए कहा कि अगर धर्मा प्रोडक्शंस का गुंजन सक्सेना के साथ अनुबंध था, तो क्या वह भारतीय वायु सेना (आईएएफ) को बुरी रोशनी (खराब छवि) में दिखा सकता है? उन्होंने दलील देते हुए कहा कि चूंकि सक्सेना ने आईएएफ के साथ काम किया है, इसलिए उसकी छवि को खराब नहीं किया जा सकता।
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि फिल्म का बड़ा संदेश लैंगिक समानता है।
अदालत अब अगले साल जनवरी में इस मामले की सुनवाई करेगी।
–आईएएनएस
एकेके/एएनएम
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