घाटी में हथियार उठाने वालों में से 83 फीसदी पत्थरबाज : ढिल्लों

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श्रीनगर, 2 अगस्त (आईएएनएस)| लेफ्टिनेंट जनरल एवं श्रीनगर 15वें कोर के कमांडर के. जे. एस. ढिल्लों ने शुक्रवार को कश्मीर घाटी की माताओं से अपील की कि वे अपने बच्चों को किसी भी हाल में हथियार उठाने की इजाजत न दें।

इस दौरान उन्होंने बताया कि कश्मीर घाटी में हथियार उठाने वाले स्थानीय युवाओं में से 83 फीसदी युवा पहले पत्थरबाज रह चुके थे। आतंकवादी बनने के बाद इनमें से काफी युवा लंबे समय तक जीवित नहीं रहे।

एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल ने यह बात कही। इस दौरान जम्मू एवं कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह और सीआरपीएफ एडीजी जुल्फिकार हसन ने भी भाग लिया।

इस दौरान सैन्य अधिकारी ने घाटी में मारे गए आतंकवादियों के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “घाटी में हथियार उठाने वाले युवाओं में से 83 फीसदी युवाओं का पथराव करने का इतिहास रहा है। हथियार उठाने के 10 दिनों के अंदर ही सात प्रतिशत आतंकवादी मारे गए।

उन्होंने खासतौर पर माताओं को जागरूक करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को पैसे के लिए पत्थरबाजी करने से रोकें, क्योंकि इस प्रवृत्ति में देखा गया है कि यही बच्चे बाद में आतंकवादी बन गए और मारे गए।

आगे की जानकारी देते हुए लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने कहा कि एक आतंकवादी समूह में शामिल होने के एक महीने के अंदर ही नौ प्रतिशत युवाओं की मौत हो गई, जबकि तीन महीनों में 17 फीसदी और छह महीने में 36 फीसदी युवा अपनी जिंदगी गवां बैठे। उन्होंने बताया कि हथियार उठाने के एक वर्ष के अंदर ही 64 फीसदी स्थानीय युवाओं की मौत हो गई।

नियंत्रण रेखा (एलओसी) की स्थिति के बारे में बात करते हुए अधिकारी ने कहा कि यह नियंत्रण में होने के साथ शांतिपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान नियमित रूप से घुसपैठ की कोशिश कर रहा है, जिसे भारतीय पक्ष की ओर से नाकाम कर दिया जाता है।

उन्होंने कहा, “30 जुलाई को नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की कोशिश करते हुए तीन आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया था।”

डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि आतंकवादी संगठनों की संख्या काफी हद तक कम हो गई है। उन्होंने कहा, “लश्कर और जैश ए मुहम्मद के कई नेताओं को खत्म कर दिया गया है और जो बचे हैं, वे बहुत सीमित हैं। इसके अलावा कई आतंकवादी समूहों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है।”

उन्होंने कहा कि घाटी में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या में कमी आई है, क्योंकि आतंकी समर्थन नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई का लक्ष्य रखा गया है।

उन्होंने कहा कि यह अच्छी खबर है कि कई आतंकवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है और वे अपने घर-परिवार के पास वापस लौट आए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कई और लोग हथियार छोड़ देंगे और अपने परिवारों के साथ फिर से मिलेंगे।

 

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