घर से भागी सऊदी बहनों के साथ ‘होता था गुलामों जैसा बर्ताव’, मदद मांगी

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त्बिलिसी, 19 अप्रैल (आईएएनएस)| धुर रूढ़िवादी सऊदी अरब से महिलाओं के भागने के नए मामले में दो सऊदी बहनों ने अंतर्राष्ट्रीय मदद मांगी है और संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि वह उन्हें एक ‘सुरक्षित’ देश दिलाने में मदद करे।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, वफा (25) और माहा अल-सुबाई (28) इस समय जार्जिया में सरकार के संरक्षण में एक आश्रय स्थल में हैं। लेकिन, उनका कहना है कि वे यहां सुरक्षित महसूस नहीं कर रहीं हैं क्योंकि ‘उनके पुरुष रिश्तेदारों के लिए उन्हें खोज निकालना आसान काम है।’

वफा ने कहा, “हमें (सऊदी अरब में) चेहरा ढंके रहना होता था, खाना पकाना होता था..जैसे कि गुलाम हों। हम यह नहीं चाहते, हम वास्तविक जिंदगी चाहते हैं, अपनी जिंदगी चाहते हैं।”

उन्होंने कहा, “जार्जिया एक छोटा देश है और हमारे परिवार का कोई भी यहां आकर हम तक पहुंच सकता है। हम एक ऐसा देश चाहते हैं जो हमारा स्वागत करे और हमारे अधिकारों का संरक्षण करे।”

दोनों महिलाओं ने ट्विटर पर अपना अकाउंट एटजार्जियासिस्टर्स के नाम से बनाकर अंतर्राष्ट्रीय मदद मांगी है और संयुक्त राष्ट्र से किसी ‘तीसरे’ सुरक्षित देश में उन्हें पहुंचाने के लिए मदद देने की गुहार लगाई है।

उन्हें जार्जिया आने में आसानी हुई क्योंकि यहां के लिए सऊदी नागरिकों को प्रवेश वीजा की जरूरत नहीं होती। परेशान और भयभीत नजर आ रही दोनों बहनें गुरुवार को जार्जिया के आव्रजन विभाग पहुंचीं।

यह पूछने पर कि उन्हें सऊदी अरब में डर क्यों लगता था, वफा ने कहा, “इसलिए क्योंकि हम महिला हैं।”

सऊदी अरब में काम करने या यात्रा करने के लिए महिलाओं को अपने पुरुष अभिभावकों से अनुमति लेनी पड़ती है।

वफा ने कहा, “हमारा परिवार हमें रोजाना धमकाता था।” उनकी बहन माहा ने कहा कि उनके पास इसका प्रमाण है।

इसी साल जनवरी में सऊदी अरब की किशोरी रहाफ मोहम्मद अल कनून अपने देश से भागकर थाईलैंड पहुंचीं और खुद को एक होटल में बंद कर दिया। ट्विटर पर अपने लिए मदद मांगी। उन्हें कनाडा ने शरण दी है।

मार्च में दो अन्य सऊदी बहनों को हांगकांग में मानवीय आधार पर वीजा दिया गया। दोनों बहनें इससे पहले हांगकांग में किसी तरह छिपकर रह रही थीं। उन्होंने भी अपने देश में हिंसा और प्रताड़ना की बात कही थी।

 

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