कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। लॉकडाउन के कारण लाखों-करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई। इसके अलावा वेतन में कटौती और देरी भी हुई। एक ऐसा ही मामला महाराष्ट्र से सामने आया है, जहाँ राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के एक बस ड्राइवर ने मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर मार्च 2020 से लंबित वेतन की मांग की है। इतना ही नहीं, उसने यहाँ तक लिखा है कि सरकार उसे सैलरी नहीं दे सकती तो भारत-चीन सीमा पर भेज दे ताकि वह देश के लिए लड़ते हुए सम्मान के साथ मर सके।
अंग्रजी अख़बार मिड-डे में छपी एक ख़बर के मुताबिक, नालासोपारा में रहने वाले बस ड्राइवर आनंद मनोहर हेलगांवकर ने बीते 2 जुलाई को मुख्यमंत्री कार्यालय को यह पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा कि वह मुंबई सेंट्रल बस डिपो में तैनात हैं और एमएसआरटीसी ((MSRTC) में साल 1999 से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, मगर हाल के दिनों में उनकी स्थिति ठीक नहीं है।
पत्र में उन्होंने लिखा कि उनकी माँ भी लंबे समय से बीमार हैं और नियमित वेतन के बिना उनके सामने भूखे मरने जैसी नौबत आ गई थी। मिड डे की ख़बर के मुताबिक, हेलगांवकर का यह पत्र सामने आने के बाद एमएसआरटीसी अधिकारियों ने कहा कि वे इस मामले की जांच करेंगे।
महाराष्ट्र स्टेट ट्रांसपोर्ट कामगार संगठन के चेयरमैन संदीप शिंदे ने भी हेलगांवकर की सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि वास्तव में मुंबई और एमएमआर क्षेत्र में कर्मियों तक नियमित वेतन के वितरण में समस्या रही और उन्होंने इसके लिए उद्धव सरकार से 2,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि एमएसआरटीसी के कर्मचारियों ने कठिन परिस्थितियों में दिन-रात काम किया है, फिर भी उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया।
संदीप शिंदे ने आगे कहा, “लॉकडाउन के कारण MSRTC की सभी बसें न चलने के कारण निगम को प्रतिदिन 23 करोड़ रुपये का बड़ा नुकसान हो रहा है। चूंकि राजस्व नहीं आ रहा है, इसलिए वेतन का वितरण नहीं हो पा रहा है। मुंबई और एमएमआर क्षेत्र को छोड़कर पूरे राज्य में सरकार के सहयोग से मार्च महीने के 75 प्रतिशत वेतन अप्रैल में दिए गए। अप्रैल महीने के 100 फीसदी वेतन मई में और मई महीने के 50 प्रतिशत वेतन जून में दिए गए। ऐसे में पहले से लंबित वेतन और जून के वेतन को समय पर देना जरूरी है। हमने मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री के कार्यालय के साथ एनसीपी नेता शरद पवार को भी पत्र लिखकर निगम के लिए 2,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मंजूरी देने की अपील की है।”
बता दें कि महाराष्ट्र सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के पास करीब 17,000 बसों का बेड़ा है और लॉकडाउन के दौरान राज्य में आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति में परिवहन निगम के कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई। चाहे प्रवासियों को पश्चिम बंगाल भेजना हो या फिर राजस्थान में फंसे छात्रों को वापस लाना, MSRTC की बसें ही सहारा बनीं।
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