नई दिल्ली: भारत सरकार निजीकरण (Government privatization) की दिशा में तेजी से कदम बढ़ रहा है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन रेलवे 90 स्टेशनों (Indian Railway 90 stations) के रखरखाव की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनियों (Private companies) को सौंपने के बारे में विचार कर रहा है।
रेलवे बोर्ड चाहता है कि इन स्टेशनों पर सिक्यॉरिटी इन्फ्रा (Security infra) को मजबूत किया जाए। इसके लिए प्राइवेट कंपनियों की तरफ से संचालन किए जा रहे एयरपोर्ट के मॉडल पर विचार किया जा रहा है।
इस प्रस्ताव को लेकर रेलवे बोर्ड ने रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (Railway protection force) के प्रिंसिपल चीफ सिक्यॉरिटी कमिश्नर, जोनल (Principal Chief Security Commissioner, Zonal) रेलवे के प्रमुखों से सलाह मांगा है। माना जा रहा है कि इन 90 स्टेशनों पर एयरपोर्ट मॉडल को लागू किया जाए। एयरपोर्ट मॉडल के अंतर्गत सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी CISF जवानों के पास होती है और इसके लिए सैलरी कॉन्ट्रैक्ट वाली कंपनी देती है।
एयरपोर्ट मॉडल में सिक्यॉरिटी और इन्फ्रा की जिम्मेदारी पूरी तरह प्राइवेट प्लेयर पर होती है। अगर इस मॉडल को स्टेशनों पर लागू किया जाता है तो पहले यह जानना जरूरी होगा कि सुरक्षा व्यवस्था किस तरह की जाएगी। स्टेशन फैसिलटी मैनेजमेंट (SFM)को लेकर एक कमिटी का यह भी कहना है कि PPP मॉडल के तहत सिक्यॉरिटी और कंट्रोल एक्सेस को अग्रीमेंट से बाहर रखा जाए।
अलावा सिक्यॉरिटी में 50-50 पर्सेंट पार्टिसिपेशन की भी बात हो रही है। बता दें कि अक्टूबर 2019 में रेलवे ने एक कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी को जम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह 150 ट्रेन और 50 रेलवे स्टेशनों को प्राइवेट हाथों में किस तरह सौंपे, इसका ब्लूप्रिंट तैयार करे। उस समय के रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव को नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह एक कमिटी का गठन करे जो इस मामले में समय पर अपनी रिपोर्ट दे और इस प्रक्रिया को समय पर खत्म जा सके।
रेलवे बोर्ड पूरी तरह प्राइवेट ट्रेन चलाने को लेकर भी तैयारी है। उसका लक्ष्य है कि वित्त वर्ष 2023-24 तक देश में एक दर्जन प्राइवेट ट्रेनों का संचालन हो. 2027 तक इसकी संख्या बढ़ाकर 151 कर दी जाएगी। पिछले कुछ समय में रेलवे ने प्लेटफॉर्म टिकट में भी काफी इजाफा किया है। कई स्टेशनों पर यह 50 रुपए तक का हो गया है। कहा जा रहा है कि जिन स्टेशनों का कायाकल्प किया गया है, उन स्टेशनों के लिए प्टेटफॉर्म टिकट महंगा है।
इंडियन रेलवे का नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है। रेलवे ने साल 2019 में निजीकरण की दिशा में पहला कदम बढ़ाया था। इसके अंतर्गत कुछ रेलवे स्टेशनों के संचालन की जिम्मदारी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी PPP के तहत निजी कंपनियों को दी गई थी।
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