बिहार के गया जिले के मानपुर ब्लॉक में एक इलाका है पटवा टोली। यहाँ रहने वाले पारंपरिक बुनकरों का समुदाय है ‘पटवा’, जिसके आधार पर मोहल्ले का नाम पटवा टोली पड़ा है। पटवा समुदाय के लोग स्थानीय स्तर पर उपलब्ध धागे का उपयोग करके बुनते हैं। पिछले दशक में पटवा टोली की पहचान एक ऐसे मोहल्ले के रूप में उभरकर सामने आई जहाँ से दर्जनों प्रतिभाशाली छात्रों ने इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम पास कर आईआईटी और एनआईटी में दाखिल हुए। लेकिन, हाल ही में एक किशोर लड़की की हत्या से पटवा टोली में रहने वाले लोगों की खुशियों पर ग्रहण लग गया है। पूरी पटवाटोली अपनी बेटी की मौत पर सदमे में है।
28 दिसंबर 2018 की शाम को 16 साल की लड़की अंजना कुमारी एक दुकान पर गई और फिर कभी वापस घर नहीं लौटी। छह जनवरी की सुबह उसका क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ था। पटवा टोली के कुछ दूर नदी के किनारे झाड़ी में मिला था। उसके गर्दन-धड़ अलग थे और चेहरे पर तेजाब डालकर उसकी पहचान खत्म करने की कोशिश की गई थी।
पिछले पांच दिनों से शहर में तनाव का माहौल बना हुआ है। बुधवार को भारी संख्या में पुलिस के खिलाफ लोग सड़क पर उतरे थे। पटवा टोली वस्त्र उद्योग बुनकर सेवा समिति की अगुआई में हजारों लोग हाथों में मोमबत्ती लेकर प्रदर्शन करते हुए न्याय की मांग कर रहे थे। प्रदर्शन करने वालों का कहना है कि पुलिस इस मामले को हल्के में ले रही है।
पुलिस ने अंजना हत्याकांड को ऑनर किलिंग का मामला बताया। अधिकारियों के मुताबिक अंजना की निर्मम हत्या में उसके अपने परिवार वाले शामिल हैं। एसएसपी राजीव मिश्रा ने मृतका के माता-पिता, बड़ी बहन और पिता के एक दोस्त को जेल में डाल दिया। पटवा टोली के लोगों के प्रदर्शन के बाद पुलिस हिरासत से छूटी मृतका की बड़ी बहन ने कहा कि पुलिस निर्दोष को फंसा रही है और गुनहगारों को बचा रही है।
मृतका की बड़ी बहन ने साफ कहा कि पहले महिला पुलिस ने उसे पीटा, फिर डीएसपी साहब ने मुझे मारा और उसके बाद थाने में ही एक वृद्ध पुलिसकर्मी ने भी उससे पीटा और जबरन बयान दिलवाया। उसके पापा-मम्मी को भी पुलिस ने बहुत पीटा। उसने बताया कि मुझसे भी जबरन कहलवाया गया कि मृतका 31 दिसंबर की रात में घर आई थी जिसके बाद पापा ने अपने दोस्त के साथ भेज दिया था। वह वजीरगंज कैंप के डीएसपी अभिजीत कुमार सिंह पर परिजनों को टॉर्चर करने का आरोप लगा रही है।
वस्त्र उद्योग बुनकर सेवा समिति के अध्यक्ष प्रेम नारायण पटवा ने न्यूज्ड से बात करते हुए बताया कि अंजना 28 दिसंबर को लापता हुई थी। परिजन बुनियादगंज थाने में शिकायत दर्ज कराने गए, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और तीन-चार दिन तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। चार जनवरी को छात्रा के लापता होने का मामला दर्ज किया गया। इसके बाद छह जनवरी को छात्रा का शव मिला। घटना के बाद से पूरे पटवा समाज ने आंदोलन कर प्रशासन पर हत्यारों तक पहुंचने के लिए दबाव बनाया। उन्होंने मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है। साथ ही उन्होंने, जांच को गलत दिशा में मोड़ने वाले डीएसपी अभिजीत कुमार सिंह को तत्काल हटाए जाने की भी मांग की है।
राज्य के एडीजी (विधि-व्यवस्था) आलोक राज ने मगध प्रमंडल के डीआईजी विनय कुमार और गया के एसएसपी राजीव मिश्रा से मामले की जानकारी ली है। आलोक राज ने घटना को दुखद बताते हुए कहा कि मामले के सभी पहलू की जांच की जाएगी। एडीजी ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन देते दिया है। डीआईजी ने कहा है कि पूरे घटनाक्रम की जांच वैज्ञानिक तरीके से कराई जाएगी। इसके लिए सीआईडी और एफएसएल की टीम की भी मदद ली जाएगी।
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