हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दिल्ली की हैप्पीनेस क्लास पर चर्चा

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नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के हैप्पीनेस क्लास के कुरिकुलम की चर्चा दुनिया की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में होने लगी है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा दिल्ली के हैप्पीनेस कुरिकुलम पर आयोजित ऑनलाइन चर्चा में मुख्यवक्ता के तौर पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शामिल हुए।

दिल्ली सरकार के मुताबिक, यह ऐसा पाठ्यक्रम है जो छात्रों को जीवन भर विद्यार्थी बनने और अच्छी सोच के लिए तैयार करेगा।

सिसोदिया ने कहा, हैप्पीनेस पाठ्यक्रम कोई नैतिक शिक्षा कार्यक्रम नहीं है जो छात्रों को नैतिक मूल्यों के बारे में उपदेश देता है। यह छात्रों की मानसिकता को विकसित करने पर केंद्रित है, ताकि स्टूडेंट्स अपने जीवन, दृष्टिकोण और व्यवहार में मूल्यों को अपनाएं।

हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन (एचजीएसई) के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सप्ताह के दौरान यह ऑनलाइन पैनल चर्चा आयोजित हुई। विषय था- हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के जरिए सामाजिक और भावनात्मक शिक्षा।

पैनल चर्चा में एचजीएसई स्थित प्रैक्टिस इन इंटरनेशनल एजुकेशन के फोर्ड फाउंडेशन प्रोफेसर फर्नाडो रिम्सर्स और हैप्पीनेस कुरिकुलम कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अनिल तेवतिया शामिल हुए।

चर्चा के दौरान, हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के विकास के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में सिसोदिया ने कहा, मैं सोचता हूं कि शिक्षा समाज में सुधार का एकमात्र तरीका है। मेरा मानना है कि राजनेताओं को बेहतर शिक्षा के माध्यम से शिक्षा के सहायक के रूप में काम करना चाहिए।

सिसोदिया ने कहा, शिक्षा ही एकमात्र ऐसा उपकरण उपलब्ध है जो समाज में सुधार कर सकता है, और हमें एक ऐसा समाज दे सकता है, जिसका हम सभी सपना देखते हैं। विश्व स्तर पर शिक्षा का उपयोग बेरोजगारी और गरीबी को कम करने के लिए किया जा रहा है। लेकिन अब भी समाज के सामने मौजूद कई मानवीय समस्याओं का समाधान करने की दिशा में शिक्षा का समुचित उपयोग नहीं हो पाया है।

दुनियाभर में शिक्षा के सफल मॉडल में विद्यार्थियों को प्रोफेशनल तौर पर मजबूत किया गया है, लेकिन भावनात्मक रूप से उन्हें मजबूती नहीं दी जाती। हैप्पीनेस पाठ्यक्रम छात्रों को अधिक आत्म-जागरूक करते हुए जाति और धर्म के प्रति समग्र मानसिकता के निर्माण और आत्मविश्वासी बनाने की दिशा में काम करता है।

चर्चा के दौरान दुनियाभर में सामाजिक और भावनात्मक शिक्षा कार्यक्रमों को समझने की जरूरत पर जोर दिया गया। हैप्पीनेस पाठ्यक्रम बच्चों को अपनी भावनाओं को वैज्ञानिक रूप से समझने और उसके अनुसर व्यवहार करने का टूलकिट प्रदान करता है। यह भावनाओं का विज्ञान है, क्योंकि एक बार बच्चे अपनी भावनाओं को अच्छी तरह से पहचानने में सक्षम हो जाएं तो वे बड़े होकर बेहतर मनुष्य बन सकते हैं।

छात्रों के साथ ही शिक्षकों की मानसिकता के विकास में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की भूमिका महत्वपूर्ण है। इससे उन्हें अपने व्यवहार में इन नैतिक मूल्यों को अपनाने में मदद मिलती है। कोशिश है कि छात्रों को स्कूल से बाहर आने के बाद बाहर की दुनिया में आजीवन विद्यार्थी बनकर रहने के लिए तैयार कर सकें।

इस दौरान प्रो. रीमर ने सिसोदिया के विजन की प्रशंसा करते हुए कहा, शिक्षकों में क्षमता-निर्माण की बड़ी चुनौती से निपटने में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम काफी मददगार साबित हुआ तथा दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों में ऐसी कक्षाएं काफी प्रभावशाली हैं।

प्रो. रीमर ने कहा, आज कोरोना महामारी के कारण दुनिया एक अनिश्चित भविष्य की तरफ बढ़ रही है। ऐसे में हमें शिक्षा के उद्देश्यों पर गहराई के साथ सवाल करना जरूरी है। छात्रों में नैतिकता की भावना विकसित करने तथा दूसरों के लिए करुणा उत्पन्न करने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है, और हैप्पीनेस पाठ्यक्रम इस दिशा में बड़ा कदम है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसजीके

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